UP Vidhansabha Chunav 2022: दादरी सीट पर इस जाति के प्रत्याशियों का रहता है दबदबा, इस बार किसे मिलेगा मौका ?
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UP Vidhansabha Chunav 2022: दादरी सीट पर इस जाति के प्रत्याशियों का रहता है दबदबा, इस बार किसे मिलेगा मौका ?

दादरी विधानसभा सीट गोतमबुद्ध नगर जिले में आती है. इस सीट पर जातिगत समीकरण अहम माने जाते हैं. 

फाइल फोटो

नोएडाः उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है. सत्ताधारी दल बीजेपी, विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस सहित अन्य दलों ने हर एक सीट पर तैयारी शुरू कर दी है. दरअसल, इस बार कई मुद्दों पर होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव में एक-एक सीट अहम मानी जा रही है. बात अगर दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के  गौतमबुद्ध नगर जिले में आने वाली दादरी विधानसभा सीट की जाए, तो फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.

बीजेपी के तेजपाल सिंह नागर इस सीट से विधायक हैं जो उत्तर प्रदेश विधानसभा में सचेतक भी हैं. हम आपको बताएंगे उत्तर प्रदेश चुनाव के लिहाज से दादरी विधानसभा सीट के सियासी समीकरण के बारे में. साथ में यह भी बताएंगे कि पिछले चुनाव में यहां क्या समीकरण रहा था.

कैसा रहा 2017 विधानसभा चुनाव में जनादेश? 
2017 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में दादरी सीट पर बीजेपी के तेजपाल नागर ने बड़ी जीत हासिल की थी. उन्होंने बसपा के सतवीर सिंह गुर्जर को हराया था. तेजपाल नागर को 141226 वोट मिले थे, जबकि बसपा प्रत्याशी 61049 वोटों के साथ दूसरे और 39975 वोटों के साथ कांग्रेस के समीर भाटी तीसरे स्थान पर रहे थे. 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन किया था. जिसके चलते इस सीट पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया था. हालांकि इस बार यहां मुकाबला बीजेपी-बसपा और सपा के बीच होने की उम्मीद है. 

सीट का सियासी समीकरण 
दादरी विधानसभा सीट गोतमबुद्ध नगर जिले में आती है. इस सीट पर ग्रामीण और शहरी मतदाता बराबर प्रभाव रखते हैं. हालांकि इस सीट पर अधिकतर वोटर ग्रामीण हैं, लेकिन ग्रेटर नोएडा और दादरी नगरपालिका के शहरी मतदाता भी इसी सीट के तहत आते हैं. दादरी विधानसभा सीट गाजियाबाद की सीमा से लेकर हरियाणा बॉर्डर तक फैली हुई है. 

सीट के जातिगत समीकरण 
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जातिगत आंकड़े सबसे अहम माने जाते हैं. ऐसे में दादरी विधानसभा सीट के जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो यह सीट गुर्जर बाहुल्य है. ऐसे में सभी पार्टियां लगभग हर चुनावों में गुर्जर जाति से आने वाले प्रत्याशियों पर ही दांव लगाती हैं. आजादी के बाद से अब तक एक आध बार को छोड़ दे तो यहां से इसी वर्ग का विधायक चुना जाता रहा है. क्योंकि चुनाव कोई भी दल जीतता हो, लेकिन दादरी में विधायक गुर्जर ही बनता है. अधिकांश दादरी सीट पर गुर्जर वर्ग से आने वाले प्रत्याशी का चयन करना पड़ता है. पिछले चुनाव में नागर गोत्र से आने वाले प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी. 

किस दल को कितनी बार मिली जीत 
1957 से अस्तित्व में आई दादरी विधानसभा सीट पर अब तक 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. जिनमें से इस सीट पर कांग्रेस ने चार बार जीत दर्ज की है, जबकि बीजेपी को तीन बार यहां से जीत मिली है. जनता दल के प्रत्याशी ने भी यहां तीन बार जीत दर्ज की है. जबकि बसपा के प्रत्याशी दो बार चुनाव जीते हैं. एक बार एलकेडी और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी. वही इस सीट पर अब तक सपा का खाता नहीं खुला है. 2012 के चुनाव में यहां बसपा ने जीत हासिल की थी, तो 2017 में बीजेपी ने बाजी मारी थी. 

क्या रही जीत की वजह? 
पिछले चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी को यहां जबरदस्त फायदा मिला था. पार्टी ने राम मंदिर निर्माण का नारा बुलंद किया था. जिसके चलते बीजेपी ने यहां बड़ी जीत हासिल की थी. सत्ता विरोधी रुझान व प्रदेशभर में चली मोदी लहर के कारण बीजेपी के तेजपाल सिंह नागर यहां चुनाव जीतने में कामयाब रहे. हालांकि इस बार भी यहां कई मुद्दे प्रभावी नजर आ रहे हैं. जिन पर चुनाव होने के आसार हैं. 

2017 में कैसा था उत्तर प्रदेश का जनादेश 
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में चौकाने वाले परिणाम सामने आए. बीजेपी ने राज्य की 403 सीटों में से 312 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. समाजवादी पार्टी को 54 सीटें और बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल को 12 और कांग्रेस को महज 7 सीटें ही मिली थी.

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