UP STF: ददुआ-ठोकिया से लेकर अनिल दुजाना तक को एसटीएफ ने ठोका, स्पेशल टॉस्क फोर्स ने आज ही मनाई सिल्वर जुबली
UP STF 25 Years: आज यूपीएसटीएफ की सिल्वर जुबली है. साल 1998 में कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के हत्या की सुपारी ली थी. जिसके बाद 4 मई 1998 को यूपी में विशेष कार्य बल (STF) का गठन किया गया.
UP STF Completed 25 Years: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UPSTF) को आज 25 साल पूरे हो गए हैं. 4 मई 1998 को तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह के आदेश पर यूपी में STF का गठन किया था. पहली टीम में तीन अधिकारियों को तैनात किया गया था. जिसमें तत्कालीन सीओ हजरतगंज राजेश पांडेय, एसपी सिटी लखनऊ सत्येंद्रवीर सिंह और एसएसपी लखनऊ अरुण कुमार शामिल थे. इस यूनिट का नेतृत्व तत्कालीन एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अजय राज शर्मा कर रहे थे. वर्तमान में यूपी एसटीएफ में 8 यूनिट हैं, जिसमें तेज तर्रा और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से लैस 550 ऑफिसर और जवान तैनात हैं. इस समय STF की कमान एडीजी अमिताभ यश के हाथों में है. आइये जानते हैं कि यूपी STF का गठन के पीछे की कहानी और अब तक की उपलब्धियां...
श्रीप्रकाश शुक्ला के खात्मे के लिए हुआ था गठन
उत्तर प्रदेश में 21 सितंबर 1997 को भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री. सीएम की कुर्सी संभालने के बाद से ही उन्होंने अपराधियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था. उन्होंने यूपी में संगठित अपराध के खात्मे के लिए बड़ा कदम उठाया था. नब्बे के दशक में एक डॉन हुआ करता था श्रीप्रकाश शुक्ला, जिसकी वारदातों से अखबारों के पन्ने रंगे रहते थे. जानकार बताते हैं कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ली थी. जिसके बाद कल्याण सिंह के निर्देश के मुताबिक, न्यूयॉर्क पुलिस की तर्ज पर 4 मई 1998 को UPSTF का गठन किया गया.
ददुआ, ठोकिया और निर्भय गुर्जर का भी किया सफाया
तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने एसटीएफ को टास्क दिया कि वह दुर्दांत अपराधियों से उत्तर प्रदेश को मुक्ति दिलाए. यूपी एसटीएफ ने अपने पहले ऑपरेशन में 22 सितंबर 1998 को गाजियाबाद में हुए मुठभेड़ में श्रीप्रकाश शुक्ला को मार गिराया. उसके बाद एसटीएफ ने इस तरह के कई ऑपरेशंस को अंजाम तक पहुंचाया. उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और अब भाजपा नेता बृजलाल के मुताबिक, श्रीप्रकाश शुक्ला के खात्मे के बाद एसटीएफ ने निर्भय गुर्जर, ददुआ, ठोकिया जैसे तमाम अपराधियों का सफाया किया.
अनिल दुजाना का एनकाउंटर
यूपी एसटीएफ ने गुरुवार को कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना उर्फ अनिल नागर को मुठभेड़ में मार गिराया. यूपी एसटीएफ की टीम ने इस कार्रवाई को मेरठ में अंजाम दिया. दुजाना पर करीब 62 केस दर्ज है, जिनमें से 18 केस हत्या के हैं, बाकी लूटपाट, रंगदारी, जमीन कब्जा और आर्म्स एक्ट से जुड़े मामले हैं. इसके अलावा उस पर गैंगस्टर और रासुका भी लग चुका है. अनिल दुजाना का खौफ तब ज्यादा हो गया, जब उसने गैंगस्टर सुंदर भाटी पर एके-47 से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी. अनिल, बादलपुर के उसी दुजाना गांव का रहने वाला है, जहां के कुख्यात डकैत सुंदर नागर उर्फ सुंदर डाकू ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जान से मारने की धमकी दी थी. 70-80 के दशक में सुंदर डाकू का दिल्ली-एनसीआर में खूब आतंक था. अनिल दुजाना का असली नाम अनिल नागर है.
अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम का एनकाउंटर
यूपीएसटीएफ ने बीती 13 अप्रैल को ही राजू पाल और उमेश पाल की हत्या के आरोपी माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और गुलाम को भी एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. उमेश पाल की हत्या के बाद से ही दोनों फरार थे. इसी बीच पुलिस को झांसी के बड़ागांव में परीछा डैम के पास दोनों की लोकेशन का पता चला. पुलिस की भनक मिलते ही दोनों कच्चे रास्ते पर निकल गए, लेकिन एसटीएफ ने उन्हें आगे घेर लिया. दोनों ने एसटीएफ पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद एनकाउंटर में असद और गुलाम मारे गए. असद अहमद और गुलाम का एनकाउंटर करने वाली एसटीएफ की टीम में कुल 12 सदस्य शामिल थे. टीम में दो डिप्टी एसपी, दो कमांडो, दो इंस्पेक्टर, एक एसआई और पांच हेड कॉन्स्टेबल शामिल थे.
विकास दुबे का एनकाउंटर
2 जुलाई 2022 की रात चौबेपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस की टीम पर विकास दुबे ने गुर्गों के साथ मिलकर हमला कर दिया था. ताबड़तोड़ फायरिंग कर विकास और उसके गुर्गो ने तत्कालीन सीओ बिल्लौर सहित आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी थी. इस घटना से पूरे प्रदेश ही नहीं देश भर में हड़कंप मच गया था. घटना के बाद विकास एक हफ्ते तक फरार रहा. उसे मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले से गिरफ्तार किया गया था. वहां से कानपुर लाते वक्त यूपी एसटीएफ के साथ हुए एनकाउंटर में उसे मार गिराया था. विकास दुबे के बाद उसके 5 साथियों को भी एसटीएफ ने ढेर कर दिया था. इसके बाद ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों का दौर चला और पुलिस ने दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया.
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