स्वाद और सेहत का लाजवाब मिश्रण है उत्तराखंड की `झंगोरा खीर`, प्रणव दा को थी बहुत पसंद
झंगोरे से उत्तराखंड के लोगों का बेहद जुड़ाव है. झंगोरा पहाड़ की संस्कृति का हिस्सा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उत्तराखंड बनाने के लिए आंदोलन चल रहा था, तो गली-गली में नारा गूंजता था- ‘मंडुवा, झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे’
झंगोरा की खीर: देव की भूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड जितना अपने पहाड़ों और मंदिरों के लिए फेमस है उतना ही वह अपने खाने के लिए मशहूर है. यहां का शुद्ध खानपान लोगों को आकर्षित करता है. शायद आपने अपने जीवन मे एक बार झंगोरे की खीर (छंछेरी) जरूर खाई होगी. झंगोरे को अलग-अलग नामों से बुलाते हैं. हो सकता है कि इस नाम को सुनकर आपको लगे कि ये कैसा होगा. पर ये डिश हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी होती है. ये कुमाउं और गढ़वाल के हिस्सों में खूब बनाई जाती है.
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उत्तराखंडी खानपान की एक खास पहचान 'झंगोरे की खीर'
झंगोरे की खीर उत्तराखंड का लोकप्रिय व्यंजन है. बारीक सफेद दाने वाले झंगोरे को हिंदी में सांवा भी कहते हैं. झंगोरे की खीर स्वादिष्ट पहाड़ी मीठा व्यंजन है, जो कि उत्तराखंड के पहाड़ों में बड़े चाव से खाया जाता है. व्रत-त्योहारों, खासकर वासंतिक व शारदीय नवरात्र के दौरान तो लोग झंगोरे की खीर जरूर खाते हैं. अब तो झंगोरे की खीर देहरादून, मसूरी, हल्द्वानी, नैनीताल जैसे शहरों में होटलों के मेन्यू का हिस्सा भी बन गई है.
पाए जाते हैं पोषक तत्व
आपको बता देतें हैं कि झंगोरे की खीर में भरपूर कैलोरी, प्रोटीन, काबोहाइड्रेट्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. यह हृदय रोग और शूगर में फायदेमंद है. उत्तराखंड में पैदा होने वाले बारीक सफेद दाने वाले झंगोरा की खीर काफी पसंद की जाती है.
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‘मंडुवा, झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे’
झंगोरे से उत्तराखंड के लोगों का बेहद जुड़ाव है. झंगोरा पहाड़ की संस्कृति का हिस्सा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उत्तराखंड बनाने के लिए आंदोलन चल रहा था, तो गली-गली में नारा गूंजता था- ‘मंडुवा, झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे’
प्रणव दा को भी बहुत पसंद आई ये खीर
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक बार उत्तराखंड दौरे पर गए थे तो उनको डिनर में झंगोरे की खीर परोसी गई तो वे इसके दीवाने होकर रह गए. यह खीर उन्हें इतनी पसंद आई की राष्ट्रपति भवन में दी जाने वाली दावतों में झंगोरे की खीर को शामिल करने के लिए कहा.
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आइए आज हम आपको बताते हैं कि आप कैसे घर में झंगोरा की खीर तैयार कर इसका आनंद ले सकते हैं. चाहिए ये सामग्री -झंगोरा - 300 ग्राम, चीनी - 150 ग्राम, दूध - 2 लीटर, बादाम और काजू - 1/4 बारीक कटे हुए, गुलाब का पानी - 1 चम्मच.
खीर बनाने की आसान विधि
झंगोरे खीर को पारंपरिक ढंग से खुली पतीली या डेगची में पकाया जाए तो इसके स्वाद के क्या ही कहने. झंगोरा की खीर बनाने के लिए सबसे पहले झंगोरा को अच्छे से धोएं और आधे से 1 घंटे के लिए पानी में भिगो कर रख दें. इसके बाद दूध उबालने के लिए चूल्हे पर रखते मध्यम आंच पर दूध को हिलाते रहें जब तक दूध आधा ना हो जाए. दूध आधा होने के बाद दूध में झंगोरा, शक्कर, गुलाब जल और कटे हुए काजू बादाम डालें और 5 से 10 मिनट तक दूध को गाढ़ा होने तक पकाएं. खीर को अपनी इच्छानुसार गाढ़ा या पतला रखें और बादाम और काजू के टुकड़ों से सजाकर परोसें इसके बाद झंगोरे की खीर को अपने खाने के बाद मीठे में पर उसे और स्वाद लेकर खाएं आप चिरौंजी, केसर, किशमिश भी डाल सकते हैं.
पहाड़ में चीड़ के जंगल से घिरे गांवों में रहने वाले लोग सिर्फ छेंती (छ्यूंती) बीज के मावे का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसका आनंद ही कुछ और है. खीर ज्यादा गाढ़ी नहीं होनी चाहिए, अन्यथा ठंडी होने पर सख्त हो जाएगी. खास बात यह कि झंगोरे की खीर न ज्यादा गर्म खानी चाहिए न ज्यादा ठंडी ही. फिर देखिए, इसका जायका आप जीवनभर नहीं भुला पाएंगे.
अलग-अलग नामों से जाना जाता है झंगोरा
उत्तराखण्ड में झंगोरा (Jhangora) नाम से पहचाने जाने वाले अनाज का वानस्पतिक नाम इकनिक्लोवा फ्रूमेन्टेंसी (Echinochloa frumentacea) है. अंग्रेजी में इसे इंडियन बर्नयार्ड मिलेट (Indian Barnyard Millet) या बिलियन डॉलर ग्रास (Billion Dollar grass) के नाम से जाना जाता है. मराठी में इसे भगर या वरी कहते हैं तो तमिल में कुथिरावाली. इसके अलाबा बंगाल में इसे श्याम या श्यामा चावल के नाम से जाना जाता है. गुजराती में इसे मोरियो और सामो कहते है. हिंदी में इसे मोरधन, समा, वरई, कोदरी, समवत और सामक चावल आदि नामों से जाना जाता है.
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