उरई रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले लजीज गुलाब जामुन का नहीं है कोई जवाब, अटल जी भी थे स्वाद के कायल
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उरई रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले लजीज गुलाब जामुन का नहीं है कोई जवाब, अटल जी भी थे स्वाद के कायल

जब कहीं की प्रसिद्ध चीज की बात होती है तो उरई के गुलाब जामुन की चर्चा जरूर होती है. यहां के रसगुल्ले की पहचान देश के तमाम स्थानों पर है. राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म 'हम साथ- साथ हैं' याद है. भूल भी गए हों तो जान लें ये वही फिल्म है, जिसके अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर उरई के रसगुल्ले की तारीफ करते हैं.

उरई रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले लजीज गुलाब जामुन का नहीं है कोई जवाब, अटल जी भी थे स्वाद के कायल

Urai Famous Gulab Jamun: अगर मिठाई की बात हो तो गुलाब जामुन हमेशा से ही सभी की पसंद होते हैं, लेकिन बात यदि उरई रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले गुलाब जामुन की हो तो क्या कहने. कानपुर के उरई रेलवे स्टेशन से गुजरने वाला शायद ही कोई ऐसा यात्री होगा, जिसने मिट्टी के बर्तन में मिलने वाले गुलाब जामुन का स्वाद नहीं चखा हो. अपनी गुणवत्ता के लिये खास पहचान रखने वाले गुलाब जामुन बहुत पहले से मशहूर रहे हैं. 

  1. उरई के रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले गुलाब जामुन का स्वाद अमेजिंग
  2. आजादी से पहले प्रयोग के तौर पर खोली गई थी दुकान
  3. पूर्व पीएम अटल जी को भी पसंद थे यहां के रसगुल्ले
  4. फिल्मों में हो चुका है जिक्र

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यहां के गुलाब जामुन पहचान है उरई की
उरई के गुलाब जामुन की बात ही अलग है. यहां का रसगुल्ला देश की तमाम जगहों में अपनी पहचान बना चुका है. यही वजह है कि जब भी कोई ट्रेन उरई रेलवे स्टेशन पर रुकती है तो लोग इसको पैक कराने के लिए उतर पड़ते हैं. ट्रेन खड़ी होते ही इतनी भीड़ हो जाती है कि दुकानदार को रसगुल्ले पैक करना मुश्किल पड़ जाता है. 

आजादी से पहले प्रयोग के तौर पर खोली गई थी दुकान
स्थानीय निवासियों के मुताबिक उरई रेलवे स्टेशन पर आजादी से पहले गुलाब जामुन बिकने शुरू हुए थे. साल 1936-37 में हलवाई शंकर ठेकेदार ने उरई रेलवे स्टेशन पर गुलाब-जामुन बनाकर बेचने की शुरूआत की थी. उस समय रेलवे स्टेशन जैसी जगह पर गुलाब-जामुन बेचना अलग तरह का पहला प्रयोग था.

अंग्रेजों के जमाने में झांसी से आने वाली ट्रेन उरई तक आती थी फिर यहीं से वापस झांसी लौट जाती थी. वहीं, कानपुर से आनी वाली टेन उरई तक होकर वापस लौट जाती थी. उस टाइम बहुत कम भीड़ हुआ करती थी. लेकिन रेलवे स्टेशन पर गुलाब जामुन बेचने का यह काम बेहद मशहूर हो गया. और तब से लेकर आज तक यहां के गुलाब जामुन दूर-दूर से यात्री जरूर खाना चाहते हैं.

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मिट्टी के बर्तन में दिए जाते हैं गुलाब जामुन
मिट्टी के बर्तन में बिकने वाले गुलाब जामुन आज भी लोगों में मशहूर हैं. अन्य सामान्य जगह की तरह की यह गुलाब-जामुन उतने बड़े होते हैं, लेकिन रेलवे स्टेशन पर बिकने वाले इतिहास की वजह से यह मशहूर है. जब कहीं की प्रसिद्ध चीज की बात होती है तो उरई के गुलाब जामुन की चर्चा जरूर होती है. यहां के रसगुल्ले की पहचान देश के तमाम स्थानों पर है. लोग जब भी यहां से गुजरते हैं तो रसगुल्ला लेना नहीं भूलते. 

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को पसंद थे यहां के गुलाब जामुन

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को भी उरई के गुलाब जामुन बेहद पसंद थे. छात्र जीवन के दौरान उन्होंने तमाम बार उरई के गुलाब जामुन का स्वाद लिया. वाजपेयी जी फिल्मों और खाने के भी खूब शौकीन थे. पूर्व प्रधानमंत्री देश के अलग-अलग पकवान तो उन्हें इतने पसंद थे कि परहेज पर रहने के बावजूद वो उनसे दूर नहीं रह पाते थे और उन्हें खाने पहुंच जाते थे. अटल बिहारी वाजपेयी के साथ नाम जुड़ने के बाद ही उरई का रसगुल्ला मशहूर होता चला गया.

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फिल्मों में भी हुआ उरई के रसगुल्लों का जिक्र

राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म 'हम साथ- साथ हैं' याद है। भूल भी गए हों तो जान लें ये वही फिल्म है, जिसके एक डॉयलाग मे अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर उरई के रसगुल्ले की तारीफ करते हैं.

इन कारणों से भी मशहूर है ये कस्बा
रेलवे लाईन और बस मार्ग पर यह शहर कानपुर और झांसी के मध्य में है. उरई बुन्देलखण्ड क्षेत्र मे स्थित है. कानपुर और झाँसी से नियमित अन्तराल पर बस और ट्रेन कि सुविधा से उरई पहुंचने के साधन सुगम हैं. यह कस्बा राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर स्थित है. यह शहर आल्हा उदल के मामा महिल की नगरी है उरई में महिल तालाब भी स्थित है जो जो उरई के सौंदर्य का प्रतीक है.

उरई का प्रसिद्ध मौनी मंदिर (शक्ति पीठ ) यहां के लोगो का युगों युगों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. उरई में हिंदुस्तान यूनिलीवर, लोहा की चादर फैक्ट्री, बहुत सी कई बड़ी बड़ी इंडस्ट्री है.

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