चटोरे पहाड़ियों की सबसे बड़ी कमजोरी है भांग की चटनी, क्या आपने चखा है इसका स्वाद?
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चटोरे पहाड़ियों की सबसे बड़ी कमजोरी है भांग की चटनी, क्या आपने चखा है इसका स्वाद?

भांग की चटनी उत्तराखंड के सभी घरों में बनती है फिर चाहे वह गढ़वाल हो या कुमाऊँ. लोग फ्लेवर के लिए चीनी भी मिलाते हैं, जिससे यह हल्का खट्टे-मीठे का स्वाद देती है.

Bhang Ki chutney

Bhang Ki Chutney: भारत के हर राज्य का खान-पान (Indian Cuisine) अलग है. इसी क्रम में हर राज्य की चटनी का भी स्वाद बेहद अलग होता है.आमतौर पर हमारे घर में हरा धनिया, पुदीना, टमाटर-प्याज नारियल या कच्चे आम की चटनी बनाई जाती है. पकौड़े हो या समोसे चटनी के बिना अधूरे से लगते हैं. पर क्या आपने कभी भांग की चटनी खाई है. जी हां उत्तराखंड में ये चटनी खासतौर पर बनाई जाती है और लोग इसे काफी पसंद भी करते हैं.

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नशे से बिल्कुल मुक्त होती है ये चटनी, पर टेस्ट के मामले में एकदम उम्दा

भांग की चटनी का नाम सुनते ही कुछ लोग चौंक सकते हैं क्योंकि भाग में नशा होता है तो लोग सोचेंगे भांग की चटनी खाने के बाद क्या-क्या असर होता होगा. लेकिन जो उत्तराखंड के खानपान से बावस्ता रखते हैं उनके लिए ये नई डिश नहीं है. आपको बता दें ये भांग की चटनी जरूर है पर इसमें नशा नहीं होता है. ये 

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पहाड़ी की परंपरागत चटनी है ये

ये चटनी परमपरागत पहाड़ी व्यंजन के स्वाद को कई गुना बढ़ा देती है. होली पर ये खासकर बनाई जाती है. इसे भांग के पकौड़ों के साथ भी खाया जाता है. बदलते वक्त के साथ कुमाऊंनी होली में काफी कुछ बदला है, लेकिन नहीं बदला तो आलू के गुटके और भांग की चटनी का स्वाद. जिसका मजा सदियों से बदस्तूर लिए जा रहे हैं. आने वाले दौर में भी यही उम्मीद है कि कुमाऊंनी होली के प्रतीक पकवानों का स्वाद होल्यार यूं ही लेते रहेंगे.

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भांग की चटनी बनाने के लिए चाहिए ये सामग्री 
50 ग्राम भांग के बीज, 1 से 2 हरी मिर्च, 4 छोटे चम्मच नींबू का रस, 3 छोटे चम्मच हरा , 3 छोटे चम्मच पुदीना, 1/2 छोटा चम्मच नमक, 2 से तीन साबुत लाल मिर्च और 1/2 छोटा चम्मच जीरा.

ऐसे बनाई जाती है भांग की चटनी
भांग के दानों को छानकर उन्हें किसी कड़ाही में तब तक भून लें, जब तक वो चटक कर अपनी खुशबू न बिखरने लगें.अब इन दानों को थोड़ा-थोड़ा करके सिल पर बारीक पीस लें. अगर आप चाहें तो मिक्सर में भी इसे पीस सकते हैं. पर बहुत ज्यादा बारीक न करें, दरदरा सा रखें. जब सारे दानें पिस जाएं तो इसे छलनी में छान कर भांग के छिलकों को बाहर निकाल लें और बाकी बचे हुए को सिल पर रख दें. इसके साथ में नींबू को छोड़कर अन्य सामग्री को भी सिल पर रख लें. अब इन सबको हल्का-हल्का पानी डालते हुए महीन पीसकर पेस्ट बना लें. यही प्रक्रिया आप मिक्सी का इस्तेमाल करते हुए कर सकते हैं.

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तैयार पेस्ट को किसी बरतन में निकाल लें और ऊपर से नींबू का रस निचोड़कर मिला लें.  ध्यान रहे की चटनी ना तो बहुत गाढ़ी हो और ना बहुत पतली. भांग की चटनी हल्की दरदरी ही अच्छी लगती है. 

चावल, रोटी, सलाद, आलू के गुटके, पराठे किसी के भी साथ भी खाएं
भांग की स्वादिष्ट चटनी बनकर तैयार है आप इसे चावल, सलाद, आलू के गुटके,रोटी या पराठे किसी के भी साथ परोसें. भांग की चटनी का उपयोग सलाद में मूली के साथ मिलाकर भी किया जाता है. गर्म तासीर वाली यह भांग की चटनी उत्तराखंड के सभी घरों में बनती है फिर चाहे वह गढ़वाल हो या कुमाऊँ. लोग फ्लेवर के लिए चीनी भी मिलाते हैं, जिससे यह हल्का खट्टे-मीठे का स्वाद देती है.

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सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं भांग के बीज
भांग के पौधे के बीज भांग के फल की तरह नशा पैदा करने वाले नहीं होते हैं बल्कि ये सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं. भांग के बीजों में प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होता है इसलिए इसका सेवन करना त्वचा और बालों की सुंदरता के लिए बेहद लाभकारी होता है. भांग के बीजों में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स त्वचा, दिल और जोड़ों के लिए फायदेमंद होते हैं. भांग के बीजों में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है. इसके बीजों में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है. इसका सेवन करने से पेट भरा रहता है और बार-बार भूख नहीं लगती है.

उत्तराखंड देश का ऐसा राज्य है, जिसने भांग के पौधों को मात्र नशे के उपयोग तक ही सीमित नहीं रखा और इसके नाना प्रकार के उपयोग किए हैं. इसके बीजों से चटनी, सब्जियों का मसाला और तेल बनाए तो इसके तनों से निकले रेशों से रस्सियां तैयार कीं. उत्तराखंड भांग के जिन उपयोगों को सदियों पहले जान गया था, दुनिया अब उसका अनुसरण कर रही है और यूरोप व अमेरिका में हाल के दिनों में भांग के बीज से तैयार हेम्पसीड ऑयल, हेम्पसीड मिल्क, हेम्पसीड प्रोटीन पाउडर जैसे उत्पाद लोकप्रिय हो रहे हैं.

चटनियों के इस विशाल सागर में से आप चाहे कितनी ही चटनियां खा लें, लेकिन अगर आपने यहां की भांग की चटनी नहीं खाई तो समझें आप का जायका अभी अधूरा है. तो जब भी आप उत्तराखंड जाएं तो इसका स्वाद जरूर चखें, वैसे तो अब ये कई जगह पर बनाई जाने लगी है पर यहां पर खाने की तो बात ही अलग है.

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