Uttarakhand Tunnel News: 17 दिनों तक मजदूरों ने मौत से कैसी लड़ी जंग, पढ़ें उत्तरकाशी सुरंग हादसे की पूरी टाइमलाइन
Uttarakhand Tunnel Complete Timeline: उत्तरकाशी जिले में टनल हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन बस कुछ ही समय में पूरा होने वाला है. 41 मजदूरों के बाहर आने की घड़ी नजदीक है. देखें 17 दिनों में सांसों को थमा देने वाले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में क्या कुछ हुआ.
Uttarakhand Tunnel Rescue operation: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में टनल हादसे में चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन बस कुछ ही समय में पूरा होने वाला है. टनल में ड्रिलिंग का काम पूरा हो चुका है. सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के बाहर आने का समय आ चुका है. देखें 17 दिनों में सांसों को थमा देने वाले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में क्या कुछ हुआ.
12 नवंबर को हुई घटना
चारधाम प्रोजेक्ट के तहत सिल्कयारी टनल का निर्माण किया जा रहा है. घटना दिवाली के दिन 12 नवंबर 2023 की है, जब सुबह करीब 5.30 बजे इसमें लैंडस्लाइड हुई. एक मलबा सुरंग पर आकर गिरा, जिसकी वजह से अंदर काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए.
जिला प्रशासन ने शुरू किया बचाव अभियान
इसके बाद जिला प्रशासन ने बचाव अभियान शुरू किया. टनल में फंसे मजदूरों को एयर कंप्रेस्ड पाइप से ऑक्सीजन, खाने की आपूर्ति का इंतजाम किया गया. इसके बाद एनडीआरएफ समेत कई बचाव एजेंसी इस ऑपरेशन में शामिल हुईं.
13 नवंबर को हुआ मजदूरों से संपर्क
ऑक्सीजन आपूर्ति पाइप के जरिए मजदूरों से संपर्क किया गया, उनके सुरक्षित होने की सूचना मिली. लेकिन मलबा ज्यादा क्षेत्र में फैल गया. टनल में प्लास्टर लगाकर गिर रहे मलबे को रोकने की कोशिश की गई.
14 नवंबर- प्लान बी की तैयारी
14 नवंबर को ऑपरेशन के बी प्लान के बारे में तैयारी चली. ड्रिल करके पाइप डालने का काम शुरु हुआ. मगर 14 नवंबर को कामयाबी नहीं मिली.
15 नवंबर - हाईटेक मशीन एयरलिफ्ट
15 नवंबर को बड़ी हाईटेक ओगर मशीन को दिल्ली से एयरलिफ्ट किया गया.
16 नवंबर -पाइपलाइन डालने की प्रक्रिया शुरू
16 नवंबर को 11:00 बजे से 3 फीट चौड़ी और 6 मीटर लंबी पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू हुई.
17 नवंबर -पाइपलाइन डालने का काम पूरा
17 नवंबर को 24 मीटर पाइप को डालने का काम पूरा हुआ. मगर 17 नवंबर को मशीन में तकनीकी कमी आने की वजह से बंद हो गई.
18 नवंबर -इंदौर से मशीन हुई एयरलिफ्ट
18 नवंबर को एक बार फिर से इंदौर से एक मशीन को एयरलिफ्ट करके ऑपरेशन को शुरू हुआ.
19 नवंबर - ड्रिलिंग का काम शुरू
19 नवंबर को ऑगर मशीन के जरिए ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ.पहले 5 मीटर की पाइप का काम ड्रिल में किया गया.
21 और 22 नवंबर तक मशीन के जरिए काम चला रहा. जिससे 48 मी ड्रिलिंग का काम पूरा हुआ.
27 नवंबर को ऑगर मशीन से काम करना बंद कर दिया 27 नवंबर से राइट माइनर्स ड्रिलिंग टेक्निक्स पर काम शुरू हुआ.
28 नवंबर को सुबह 5:00 बजे तक 14 घंटे में 5 मीटर की ड्रिलिंग का काम पूरा हुआ. आज सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी टनल में पहुंचे और उन्होंने जानकारी दी की 52 मी ड्रिलिंग का काम पूरा हो गया है.
पांच प्लान के तहत चला रेस्क्यू ऑपरेशन
पहले प्लान टनल में आए मलवा में ड्रिल करके पाइप डालने का काम शुरू हुआ. पहले 900 एमएम, इसके बाद 800 एमएम फिर 700 एमएम की पाइप को ड्रिल करके डालने का काम शुरू हुआ.
प्लान बी के तहत 1.2 डायमीटर की टनल के ऊपर से ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ.
प्लासी टनल से 180 मी परपेंडिकुलर प्लान बनाया गया.
पालंदी टनल के ऊपर 8 इंच की पाइप से ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ.
रेस्क्यू ऑपरेशन में आरवीएनएल एसजेवीएनएल उत्तराखंड डिजास्टर ,एनडीआरएफ, एसडीआरएफ ,एनएचआईडीसीएल ओएनजीसी टीएचडीसी डीआरडीओ जियोलॉजिस्ट जैसे एक्सपर्ट संस्थाओं के एक्सपर्ट शामिल रहे.
कई राज्यों से मंगवाई गईं मशीनें
98 कर्मियों की 24 घंटे टीम काम करती रहीं. दिल्ली, उड़ीसा, गुजरात, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से मशीने मंगाई गईं.
इन मशीनों का हुआ इस्तेमाल
हाइड्रा बूमर् आगर एक्सीवेटर टेमरॉक टीवीएम जैसी मशीनों का इस्तेमाल किया गया.
मिशन में शामिल हुए अंतर्राष्ट्रीय टनल संगठन के अध्यक्ष
प्लाज्मा कटर, गैस कटर, इलेक्ट्रॉनिक कटर लेजर कटर का इस्तेमाल किया गया. अंतर्राष्ट्रीय टनल संगठन के अध्यक्ष अर्नाल्ड डिकस भी मिशन में शामिल रहे.
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