कौन हैं विष्णु और हरिशंकर जैन, अयोध्या, मथुरा-काशी से भोजशाला तक मंदिरों की मुक्ति की अदालती जंग लड़ रही पिता-पुत्र की जोड़ी
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कौन हैं विष्णु और हरिशंकर जैन, अयोध्या, मथुरा-काशी से भोजशाला तक मंदिरों की मुक्ति की अदालती जंग लड़ रही पिता-पुत्र की जोड़ी

who is hari shankar jain and vishnu jain: एमपी के धार में स्थित भोजशाला केस की पैरवी हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन कर रहे हैं. पिता पुत्र की जोड़ी श्रीकृष्ण जन्मभूमि, ज्ञानवापी शृंगार गौरी समेत 110 मामलों की पैरवी कर रही है. 

hari shankar jain and vishnu jain.

who is hari shankar jain and vishnu jain: एमपी के धार जिले में स्थित भोजशाला सरस्वती देवी मंदिर था या मस्जिद, इसके परीक्षण की रिपोर्ट एएसआई ने हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ को सौंप दी है. भोजशाला में एएसआई सर्वे की मांग 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' की ओर से की गई थी. जिसकी पैरवी हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन करते हैं. पिता पुत्र की ये जोड़ी श्रीकृष्ण जन्मभूमि, ज्ञानवापी शृंगार गौरी समेत देशभर के करीब 110 मामलों की पैरवी कर रही है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में भी विष्णु जैन हिंदू पक्ष की पैरवी कर रहे हैं. 

कौन हैं विष्णु जैन और हरिशंकर जैन?
हरिशंकर जैन यूपी की राजधानी लखनऊ से ताल्लुक रखते हैं. 1976 में उन्होंने वकालत शुरू की थी,  इस पेशे में वह करीब 48 साल से सक्रिय हैं. उनके बेटे विष्णु जैन भी पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. उन्होंने साल 2010 में बालाजी लॉ कॉलेज से डिग्री लेकर वकालत शुरू की. तब से वह पिता के साथ हैं. विष्णु जैन ने श्रीराम जन्मभूमि मामले से प्रैक्टिस शुरू की थी. 

कई मामलों की पैरवी कर रही पिता-पुत्र की जोड़ी  
पिता पुत्र की जोड़ी ने साल 2021 में ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सात केस दर्ज किए, जिसमें गंगा नदी, देवी नंदी और मां श्रृंगार गौरी का मामला शामिल है. इसके अलावा मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि, ताजमहल के पूर्व शिवमंदिर होने का दावा, वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट 1995 को चुनौती दी है. कहा जाता है कि उनके पास हरिशंकर जैन के पास श्रीराम जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्ष रखने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था. 

क्या है भोजशाला मामला
बता दें कि लंबे अरसे से भोजशाला मंदिर था या मस्जिद, इसको लेकर विवाद चल रहा है. यही कारण है कि यहां मंगलवार को पूजा होती है और शुक्रवार को नमाज अता की जाती है. यहां सरस्वती देवी का मंदिर था या मस्जिद, इसके परीक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सर्वे किया था और सोमवार को अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ को सौंप दी. इस मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.

हाईकोर्ट ने दिए सर्वे के निर्देश
मामला उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में पहुंचा जिसने एएसआई को सर्वे करने का निर्देश दिया. एएसआई ने 22 मार्च से सर्वे शुरू किया जो 27 जून तक चला. कुल 98 दिन तक सर्वे हुआ. एएसआई के अनुरोध पर हाईकोर्ट ने 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया था. एएसआई ने सर्वे के दौरान खुदाई कराई, जिसकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी की गई. साथ ही इसमें ग्राउंड पेनिट्रेट रडार (जीपीआर) और ग्लोबल सिस्टम (जीपीएस) की सहायता ली गई.

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