विश्व जल दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को 'कैच द रेन' यानी वर्षा जल संचय अभियान का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुभारंभ करेंगे.
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लखनऊ: "जल ही जीवन है" इस बात को हम सब बचपन से सुनते आ रहे हैं. कहते हैं इंसान बिना भोजन के तो रह सकता है लेकिन बिना पानी के जीवित नहीं रह सकता. इसके बावजूद लोग पानी की अहमियत नहीं समझते. पानी को बचाने के बजाय बर्बाद करते हैं. लोगों को पानी का महत्व समझाने के लिए और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए ही पूरे विश्व में हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है.
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साल 2021 की क्या है थीम ?
आपको बता दें कि हर साल विश्व जल दिवस की एक थीम निर्धारित की जाती है. इस साल की थीम 'Valuing water' है. इसका उद्देश्य लोगों को पानी का महत्व समझाना है. इस मौके पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और पानी के महत्व और जल संरक्षण के बारे में बताया जाता है. इसी कड़ी में पीएम मोदी ने भी 'कैच द रेन' अभियान की शुरुआत की.
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पीएम मोदी करेंगे 'कैच द रेन' अभियान का शुभारंभ
इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 'कैच द रेन' यानी वर्षा जल संचय अभियान का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुभारंभ किया. बता दें कि यह अभियान देश भर के सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चलाया जाएगा. इस अभियान का नारा है-'जहां भी गिरे और जब भी गिरे, वर्षा का पानी इकट्ठा करें.' यह अभियान पूरे देश में 22 मार्च 2021 से 30 नवंबर, 2021 तक प्री-मानसून और मानसून अवधि के दौरान चलेगा. इसे अभियान के जरिए जमीनी स्तर पर जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक जन आंदोलन के रूप में शुरू किया जाएगा.
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ये है अभियान का मुख्य उद्देश्य
इसके साथ ही इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को वर्षा का जल संग्रह करने के साथ ही जलवायु परिस्थितियों और मिट्टी की स्थितियों के अनुकूल रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स (RWHS) का निर्माण करने के लिए प्रेरित करना है. दरअसल, मॉनसून के महीनों में होने वाली बारिश देश के ज्यादातर हिस्सों में पानी का स्रोत है.
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कब हुई थी विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत?
संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की थी. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र की ओर से साल 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में पर्यावरण और विकास मुद्दे को लेकर एक सम्मेलन आयोजित किया गया था. उसी दौरान विश्व जल दिवस मनाने की पहल हुई थी. जिसके बाद 1993 में पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया. तब से लेकर आज तक हर साल 22 मार्च को यह दिवस मनाया जाता है.
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धरती पर एक फीसदी से भी कम पानी पीने योग्य
ये तो आप जानते ही हैं कि पृथ्वी का 71 % हिस्सा पानी से ढका हुआ है. 1.6 प्रतिशत पानी जमीन के नीचे है और 0.001 प्रतिशत वाष्प और बादलों के रूप में है. पृथ्वी की सतह पर जो पानी है उसमें से 97 प्रतिशत सागरों और महासागरों में है, जो नमकीन है और पीने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. केवल तीन प्रतिशत पानी पीने योग्य है, जिसमें से 2.4 प्रतिशत ग्लेशियरों और उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में जमा हुआ है और केवल 0.6 प्रतिशत पानी नदियों, झीलों और तालाबों में है जिसे इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में जल संरक्षण बेहद जरूरी है. ताकि भविष्य में पानी का संकट न हो.
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