वाराणसी: यूपी की शिवनगरी काशी में अब घरों को यूनिक आइडेंटिफिकेशन देने की शुरुआत कर दी गई है. आधार कार्ड की ही तरह अब मकानों को भी यूनिक आईडी दी जाएगी. दोनों में फर्क बस डिजिट का होगा. हमारा आधार नंबर 12 डिजिट्स का होता है, लेकिन मकान पर लगने वाले ये यूनिक आईडी नंबर 17 डिजिट का होगा. साथ ही, आधार कार्ड की तरह ही मकानों की यह यूनिक आईडी हर जगह पहचान के तौर पर इस्तेमाल की जाएगी. 


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ऐसे बनेगा यूनिक आईडी 
मकानों के लिए जारी किए गए यूनिक आईडी कुछ ऐसे बनेगा-
पहला-दूसरा नंबर-  स्टेट कोड
तीसरा-चौथा नंबर -  जिले के कोड 
पांचवा-छटा नंबर -यूएलबी कोड, यानी नगर निगम, नगर पालिका या पंचायत कोड.
सातवां-आठवां नंबर- जोन कोड 
इसके बाद वॉर्ड कोड, मोहल्ला कोड और अंत में हाउस कैटेगरी कोड लिखा जाएगा. बता दें, हाउस कैटेगरी का मतलब है आपका मकान रेजिडेंशियल है या कॉमर्शियल. रेजिडेंशियल के लिए मकान पर R लिखा जाएगा. वहीं, नॉन-रेजिडेंशियल के लिए N और मिश्रित संपत्ति (Mixed Property) के लिए M का इस्तेमाल किया जाएगा.


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अब तक इतने मकानों को मिली पहचान
आज तक के हवाले से खबर मिली है कि वाराणसी नगर निगम (Varanasi Municipal Corporation) में 3 महीने पहले ही इसकी शुरुआत कर दी गई थी. शासन के आदेश के बाद मकानों को यूनिक आईडी देने की शुरुआत हुई थी. जानकारी के मुताबिक, शहर में अब तक 39000 मकानों को उनकी पहचान मिल गई है. बताया जा रहा है कि वाराणसी में कुल मकानों की संख्या 2 लाख 72 हजार है. 


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सबकुछ होगा डिजिटल
सरकार की इस पहल को देखते हुए ये माना जा रहा है कि सरकार की मंशा चीजों को डिजिटल करने की है. पहले मकानों की पहचान केवल पते से ही होती थी. वह भवन आवासीय हैं या व्यावसायिक, ये भी पता नहीं चलता था. लेकिन अब सारी जानकारी रहेगी और टैक्स भुगतान करने में भी आसानी होगी.


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