Ayodhya: भगवान राम की नगरी में भव्य मंदिर में रामलला विराजमान हो चुके हैं ऐसे में अब मां जानकी के मंदिर के निर्माण की कवायदे शुरू हो चुकी है भगवान राम लला भव्य मंदिर में विराजमान हुए तो वहीं सात समुंदर पार मां जानकी के भी मंदिर निर्माण को लेकर तैयारी शुरू की गई है. श्रीलंका में बन रहे माता सीता के मंदिर में भगवान राम की प्रिय मानी जाने वाली सरयु के जल का प्रयोग किया जाएगा. श्रीलंका में माता सीता के मंदिर श्री सीता अम्मन मंदिर की स्थापना किया जाना है. जिसमें मा सीता के अभिषेक के लिए सरयु जल का प्रयोग किया जाएगा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

श्री लंका में सीता जी की प्राण प्रतिष्ठा से पहले माता सीता का अभिषेक अयोध्या के सरयू जल से किया जाएगा. श्रीसीता अम्मन मंदिर प्रशासन की ओर से प्रदेश के प्रमुख सचिव को अयोध्या का सरयू जल उपलब्ध कराने के लिए पत्र भी लिखा है. जिसको देखते हुए मंदिर प्रशासन का एक दल 15 मई के बाद जल लेने भारत आएगा. प्रमुख सचिव कार्यालय की ओर से 21 लीटर सरयू जल उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी श्रीअयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद को दी गई है.


Incredible Uttrakhand: यहां रखा गया था गणेश जी का कटा हुआ सिर, यहीं पर है मोक्ष द्वार


अयोध्या तीर्थ विकास परिषद के सीईओ संतोष कुमार ने बताया श्रीलंका के प्रतिनिधियों द्वारा स्टेट गवर्नमेंट से सरयु जल की मांग की गई थी. जहां श्रीलंका में 19 मई को सीता अम्मन टेंपल में सरयू जल से माता सीता की प्रतिमा का अभिषेक किया जाएगा. सीता जी के अभिषेक के लिए सरयु जल की आवश्यकता हो रही है. राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि श्रीलंका में माता सीता के सरयु जल के लिए जितनी भी सूरयु जल की आवश्यकता है. वह भी आपूर्ति कि जाएगी ताकि विधवत माता-पिता के मंदिर के पूजन संपन्न हो सके. 


राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर आत्माओं को जोड़ने का काम करता है. हृदय को जोड़ने का काम करता है. इतना ही नहीं राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि बीते दिनों श्रीलंका का एक प्रतिनिधिमंडल अयोध्या आया था. उसके बाद वह प्रदेश सरकार से संपर्क किया इसके बाद यह निर्णय लिया गया. उन्होंने आगे बताया कि लंका और भारत के सांस्कृतिक संबंध मजबूत हो इसको लेकर अयोध्या के सरयू जल से श्रीलंका के माता सीता के मंदिर का अभिषेक किया जाएगा . 


चंपत राय ने आगे बताया कि श्रीलंका में लोग माता सीता की वाटिका तथा माता सीता का मंदिर बनाने का कार्य कर रहे हैं. यह स्वाभाविक रूप से प्रोत्साहन का कार्य है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि श्री लंका से आये प्रतिनिधिमंडल की मंशा थी की सरयू का जल सबसे पहले रामलला के दरबार में रखा जाए तो ऐसे में कहा गया की रामलला का जन्म तो सरयू के किनारे हुआ है तो माता सरयू सबसे पहले आईं. भगवान श्री राम बाद में आए माता सरयू तो भगवान श्री राम के पहले से अयोध्या में विराजमान है. अतः सरयू का जल रामलला के दरबार में भी रखा गया निश्चित ही यह सरयू का जल दो देशों के हृदय को जोड़ने का कार्य करेगा.


विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परॉडे ने कहा की पूरे विश्व के 100 से अधिक देशों में 22 जनवरी का कार्यक्रम संपन्न हो गया और यह कार्यक्रम भारत में 9 लाख से अधिक जगह पर एक ही समय पर हुआ तो पूर्ण देश में बहुत बडा उत्साह है. पूर्ण हिंदू समाज में जो एक जागरण हुआ है एक अस्मिता का एक स्वाभाविक जागरण हुआ है तो इस कारण से ऐसी अनेक घटनाएं पूरे विश्व भर में होंगी तो जहां-जहां पर ऐसे अस्मिता के प्रकृटी करण का विषय होगी यह तो हम सभी के लिए आनंद का विषय है.