Cancer Hospitals in UP: उत्तर प्रदेश में सस्ते दामों पर कैंसर इलाज के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. अब यहां अस्पताल न केवल सस्ते हैं, बल्कि उनकी गुणवत्ता भी उच्च है. ये अस्पताल उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों के लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण सेवा प्रदान कर रहे हैं. 


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होमी भाभा कैंसर ट्रीटमेंट सेंटर, वाराणसी
यह अस्पताल भारत सरकार द्वारा वाराणासी में निर्मित करवाया गया है. इसका मैनेजमेंट टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई द्वारा किया जाता है. इस अस्पताल का मुख्य उद्देश्य वाराणसी और इसके आसपास के क्षेत्रों में सस्ती दरों पर कैंसर का देखभाल करना है. होमी भाभा कैंसर अस्पताल, वाराणसी साल 2018 से प्रदेश और भारत की जनता को अपनी सेवाएं दे रहा है. इस अस्पताल की क्षमता 179 बेड की है.


महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर, वाराणसी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 फरवरी 2019 को वाराणासी में इस दूसरे कैंसर ट्रीटमेंट सेंटर का उद्घाटन किया था. महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर की क्षमता 350 बेड की है. सरकारी अनुमान के अनुसार उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 1.5 लाख नए कैंसर के मामले होंगे. ये कैंसर केंद्र मध्य प्रदेश, झारखंड और बिहार के आसपास के क्षेत्रों के मरीजों के लिए भी लाभदायक होगा.


नवीन कैंसर इंस्टिट्यूट, लखनऊ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा लखनऊ में एक और नए कैंसर अस्पताल का तोहफा उत्तर प्रदेश की जनता को दिया है. लखनऊ में बना नवीन सुविधाओं से लैस यह अस्पताल मुंबई के फेमस टाटा मेमोरियल सेंटर कू तरह ही काम करेगा. 


कल्याण सिंह कैंसर संस्थान
लखनऊ स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान को प्रदेश के सबसे बड़े सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है. विकसित होने के बाद यह देश का दूसरा और उत्तर प्रदेश का पहला हाई रिसर्च सेंटर भी बन जाएगा. कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में 250 बेड का नया ब्लॉक भी बनाया गया है. मई तक संस्थान में  750 बेड पर मरीजों का इलाज शुरू हो जाएगा. इन सबके साथ संस्थान में ब्लड बैंक भी स्थापित किया गया है.


बलरामपुर अस्पताल
यूपी के बलरामपुर जिला अस्पताल में भी अब कैंसर मरीजों को भी इलाज होगा. यहां तक डॉक्टर की सलाह से लेकर दवाओं के साथ जांच तक मरीजों को सब कुछ मुफ्त में मिला करेगी. अस्पताल के सीएमएस डा. जीपी गुप्ता ने बताया कि मौजूदा समय में यहां आने वाले मरीजों को डा. राम मनोहर लोहिया, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी व एसजी पीजीआई रेफर किया जाता था. इसलिए मरीजों की परेशानी दूर करने के लिए अस्पताल प्रशासन और यूपी सरकार ने मिलकर अहम कदम उठाया है.