Pithoragarh london fort: उत्तराखंड में ऐसे बहुत से स्थान हैं तो अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताओं के कारण खास है. यहाँ मंदिरों के अलावा बहुत से ऐसी जगहें हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. ऐसा ही एक किला है लन्दन का किला. जिसको गोरखा किला के नाम से भी जाना जाता है. इस किले का निर्माण 1791 में गोरखाओं राजाओं ने करवाया था. यह किला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में है. नगर के बीचों बीच बना यह किला एक ऊंची छोटी पर है जहाँ से सारे शहर का सुन्दर नज़ारा देखा जा सकता है. सैलानी यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए उत्साहित रहे हैं.


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स्थानीय लोगों के अनुसार


स्थानीय लोगों का कहना है कि यह किला गोरखा शासकों ने अपने सैनिकों के विश्राम के लिए बनाया था. इस किले में तहखाना, अदालत और बंदीगृह भी है. गोरखाओं ने इस किले को दुश्मनो पर नज़र बनाये रखने के लिए अनोखे ढंग से बनाया था, इसकी दीवारों पर लगभग 150 छेद हैं जिनसे बन्दूक का निशाना सादा जा सकता था. इन्हे इस तरह बनाया गया है की बाहर से हमला होने पर इन छेदों से गोली अंदर ना आ सके. 


अंग्रेजों ने नया नाम दिया लन्दन फोर्ट 
1815 में अंग्रेजी शासन के समय इसका नाम बदलकर लंदन फोर्ट कर दिया गया. इस बीच अंग्रेजों ने इसके रखखाव का पूरा ध्यान रखा और एक दो बार मरम्मत भी करवाई. इस दोमंजिला किले  में 15 कमरे हैं, इनकी बनावट की शैली नेपाल में बनने वाले पुराने घरों जैसी है. कहते हैं किले के अंदर एक कुआँ भी था लेकिन इसमें डूबने से सैनिकों की मौत के बाद इसको बंद करवा दिया गया और उसके ऊपर एक पीपल का पेड़ लगा दिया गया. किले में एक शिलापट्ट पर प्रथम विश्व युद्ध में जान गंवाने वाले सैनिकों के बारे में लिखा गया है.



अंग्रेजों के जाने बाद यह किला कुछ सालों तक उपेक्षित रहा. लेकिन अब सरकार इसका पूरा रखरखाव कर रही है. बीते कुछ सालों में यहाँ मरम्मत का काम भी हुआ है किन्तु मूल ढाँचे को ऐसे ही रहने दिया गया है. धीरे- धीरे लोगों को इस किले के बारे में जानकारी मिल रही है और यहां पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.


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