Sambhal News/सुनील सिंह: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में है 1200 वर्ष से अधिक प्राचीन श्री कल्कि विष्णु हरि भगवान का एक अनोखा मंदिर. जहां मौजूद दिव्य मूर्ति के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. मंदिर के बारे में एक खास बात यह है कि यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है. इसका जीर्णोद्धार 300 साल पहले इंदौर स्टेट की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने कराया था. 


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संभल में होगा  कल्कि भगवान का जन्म
संभल मे 1200 वर्ष से अधिक प्राचीन श्री कल्कि विष्णु हरि मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है. पुराणों के अनुसार मान्यता है की कलियुग में भगवान विष्णु का दसवां अवतार श्री कल्कि नारायण भगवान के रूप में संभल में होगा. इस मान्यता के चलते ही 1200 वर्ष पूर्व इस मंदिर की स्थापना की गई थी. मंदिर के महंत के पास संभल क्षेत्र का लगभग 1200 वर्ष प्राचीन एक नक्शा भी है. नक्शे में इस कल्कि नारायण मंदिर को भी दर्शाया गया है. 9अगस्त के दिन श्रद्धालुओं के द्वारा कल्कि जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. समारोह में प्रदेश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्री कल्कि विष्णु हरि भगवान के इस मंदिर में पहुंचकर श्री कल्कि विष्णु हरि भगवान की दिव्य मूर्ति के दर्शन करते हैं.


इतिहास और मान्यता को लेकर आज भी रहस्य 
संभल में स्थित श्री कल्कि विष्णु हरि भगवान के इस मंदिर के पौराणिक इतिहास और धार्मिक मान्यता को लेकर आज भी रहस्य बना हुआ है. मंदिर के मौजूदा महंत राम प्रसाद के पास मौजूद संभल क्षेत्र के 1200 वर्ष से अधिक प्राचीन नक्शे के अनुसार इस प्राचीन कल्कि नारायण मंदिर का निर्माण 1200 वर्ष पूर्व मनु महाराज ने कराया था. नक्शे में मंदिर की आकृति भी चित्रित है जिस पर मनु श्री कल्कि मंदिर लिखा हुआ है.


दक्षिण भारतीय शैली से हुआ निर्माण
दक्षिण भारत के मंदिरों की निर्माण शैली पर बने इस मंदिर का 300 वर्ष पूर्व इंदौर स्टेट की महारानी अहिल्या बाई होलकर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया था. महारानी अहिल्या बाई होलकर के राज्य के राज चिन्ह मंदिर के प्रवेश द्वार पर आज भी मौजूद हैं. पुराणों के अनुसार मान्यता है कि कलियुग में भगवान विष्णु का दसवां अवतार श्री कल्कि भगवान के रूप में संभल में ही होगा. मंदिर के महंत का दावा है देश में कल्कि विष्णु हरि भगवान का संभल में यह एक मात्र मंदिर है. मंदिर के पौराणिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी मंदिर को भव्य बनाए जाने के बजट जारी करने की घोषणा की है. 


खुदाई में मिले हैं प्राचीन अवशेष
दरअसल, इतिहासकारों और पुरातत्व विदों के अनुसार संभल पौराणिक और धार्मिक स्थल रहा है. संभल क्षेत्र में खुदाई के दौरान ऐसे तमाम प्राचीन अवशेष लोगों को आज भी मिलते रहते हैं. इनसे संभल का इतिहास हजारों वर्ष प्राचीन होने की पुष्टि होती है. धार्मिक विद्वानों के अनुसार पुराणों में भी यह उल्लेख है की कलियुग में भगवान विष्णु का दसवां अवतार कल्कि भगवान के रूप में संभल में होगा. लोगों का मत है की पुराणों में सैकड़ों वर्षों पूर्व संभल में कल्कि अवतार के उल्लेख के चलते मनु महाराज ने 1200 वर्ष पूर्व ही कल्कि भगवान के मंदिर का निर्माण संभल में कराया था. बहरहाल मंदिर के पौराणिक और धार्मिक इतिहास को सामने लाने के लिए पुरातत्व विभाग और इतिहासकारों द्वारा गंभीरता से कोई शोध अभी तक न किए जाने से मंदिर का इतिहास लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है.


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