Sawan 2024: शिवलिंग को बचाने के लिए अंग्रेजों से लड़ गई थीं मधुमक्खियां, भगवान राम से जुड़ा है जागेश्वरनाथ शिव मंदिर का इतिहास
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2363224

Sawan 2024: शिवलिंग को बचाने के लिए अंग्रेजों से लड़ गई थीं मधुमक्खियां, भगवान राम से जुड़ा है जागेश्वरनाथ शिव मंदिर का इतिहास

Basti Bhagwan Jageshwarnath Shiv Temple: भारत में रहस्‍यमयी मंदिरों की कमी नहीं है. यूपी के बस्ती जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसका संबंध भगवान राम जी के काल से है. इतना ही नहीं इस मंदिर में अंग्रेजों की क्रुरता के निशान भी मौजूद हैं. ये मंदिर आज भी लोगों के लिए आस्था का केंद्र है.

 Basti Shiv Temple

Basti Shiv Mandir: आपने कई शिव मंदिरों की पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां भी सुनी होगी. कई कहानियों को सुनकर आप हैरान भी हुए होंगे.  क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा भी शिव मंदिर है जहां मधुमक्खयों ने शिवलिंग की रक्षा अंग्रेजों से की थी. जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश में बस्ती जनपद के एनएच 28 लखनऊ गोरखपुर हाइवे पर तिलकपुर गांव स्थित  भगवान जागेश्वरनाथ शिव मंदिर की. ये यूपी के बस्ती जिले में स्थित है. इस मंदिर का इतिहास त्रेता युग से भी बताया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मान्यता मांगता है वह जरूर पूरी होती है.  सावन के महीने और महीने के हर सोमवार को भक्तों का तांता लगा रहता है.

Dudheshwar Nath Temple: रावण ने भी की थी इस शिव मंदिर में पूजा, गाय माता ने की थी शिवलिंग की खोज

भगवान राम के गुरू वशिष्ठ ने की थी मंदिर की स्थापना
 इस मंदिर का इतिहास त्रेता युग से भी बताया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान राम के गुरू महर्षि वशिष्ठ ने की थी. पास के गांव बढ़नी मिश्र में गुरू वशिष्ठ का आश्रम था. जब राम जी गुरू वशिष्ठ के पास थे तो वो भगवान शिव की आराधना करने तिलकपुर आते थे. किवदंतियों के मुताबिक पहले यहां बहुत बड़ा जंगल हुआ करता था जिसके बीच में भगवान शिव का यह मन्दिर स्थापित था. 

सावन में भक्तों की भीड़
भगवान जागेश्वरनाथ शिव मंदिर की ऐसी मान्यता इतनी ज्यादा है कि पूरे देश से लोग यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं. खासतौर पर सावन के पूरे महीने में यहां भक्तों का ताता लगा रहता है. दूर दूर से लोग यहां भगवान जागेश्वरनाथ शिव मंदिर पर पूजन अर्चन करने आते हैं.

 शिवलिंग की रक्षा मधुमक्खियों ने की थी
स्थानीय पुजारी और लोगों का कहना है कि मंदिर के घने जंगलों के पीछे अंग्रेजों ने अपनी शिविर बना रखा था. अंग्रजों ने शिविर बनाने और अन्य कार्य के लिए यहां के जंगलों की सफाई की थी. सफाई के दौरान उनको जंगलों के बीच में एक पत्थर दिखाई दिया. इस पत्थर से रोशनी निकल रही थी.  ऐसा देखकर अंग्रेजों ने इस पत्थर की खुदाई करनी शुरू कर दी. उस चोट के निशान आ ज भी शिवलिंग पर दिखाई देते हैं. जब अंग्रेजों ने वहां पर खुदाई शुरू की तो इस दौरान शिव लिंग से बड़ी- बड़ी मधुमक्खियां निकलने लगीं और अंग्रेजों पर हमला कर उनको काटने लगीं. जिससे अंग्रेज वहां से भाग गए. बताया जाता है कि मधुमक्खियों के काटने से सैकड़ों अंग्रेजों की मौत भी हो गई थी.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

यह भी पढ़ें- Mendhak Shiv Mandir: यूपी का इकलौता मंदिर जहां मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं भगवान शिव, जानें खड़े नंदी की कहानी

Trending news