लोकसभा चुनाव के वक्त BJP में शामिल हुए पूर्व मंत्री नारद राय ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कार्यकर्ताओं के सम्मान का सवाल उठाया है कि कैसे तहसील से डीएम कार्यालय तक उन्हें सम्मान नहीं मिलता है. दाखिल-खारिज से लेकर पैमाइश तक चक्कर लगाने पड़ते हैं. परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के सामने सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने मन की बात रखी. 


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पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के बीच नारद राय ने साफतौर पर कहा कि पार्टी वर्करों की कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं सुनता है. पंचायत से लेकर तहसील और वहां से जिलाधिकारी कार्यालय तक यही स्थिति है. बीजेपी कार्यकर्ता जनसेवा के लिए अधिकारियों के पास दौड़ता है. सपा-बसपा की तरह दलाली या घूसखोरी के लिए नहीं जाता है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. गन लाइसेंस के लिए पुलिस चौकी से डीएम ऑफिस तक भागता रहता है, लेकिन छह महीने के बावजूद काम नहीं होता. 


इससे पहले बीजेपी के पूर्व मंत्री मोती सिंह ने इसी तरह के भ्रष्टाचार के आरोप प्रशासनिक स्तर पर होने के गंभीर आरोप लगाए थे. मोती सिंह ने कहा था कि उन्होंने अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में कभी भी ऐसा भ्रष्टाचार नहीं देखा. जौनपुर के बीजेपी विधायक रमेश चंद्र मिश्रा ने भी कहा था कि आज के हिसाब से पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं है. ऐसे में 2027 के पहले पार्टी को चिंतन की जरूरत है. बीजेपी कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी जा रही है, ये दर्द भी छलका था.


हरदोई की गोपामऊ सीट से विधायक श्याम प्रकाश ने भी ऐसी ही फेसबुक पोस्ट से खलबली मचाई थी. उन्होंने लिखा था कि मोदी-योगी तो ईमानदार हैं, लेकिन अफसर लूट रहे हैं. बीजेपी सरकार में न कोई काम बिना पैसे के हुआ है न होगा. बेईमान अधिकारी जमकर लूट खसोट कर रहे हैं. उधर, मुरादाबाद में बीजेपी के विधायक रितेश गुप्ता ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाया है, उनका कहना है कि गरीबों का घर बुलडोजर से उजाड़ा जा रहा है. 


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कौन हैं बीजेपी के पूर्व मंत्री मोती सिंह, जिन्होंने थाना-तहसील स्तर पर भ्रष्टाचार को लेकर अपनी ही सरकार को घेरा​