लोकसभा चुनाव के ठीक 4 महीने पहले कांग्रेस को उत्तर भारत में जोरदार झटका लगा है. हिमाचल प्रदेश को छोड़ दें तो बीजेपी ने कांग्रेस को उत्तर भारत से पूरी तरह से साफ कर दिया है. कांग्रेस की सरकार अब सिर्फ दो राज्यों में ही अपने बलबूते सत्ता में सिमट कर रह गई है. हालांकि तेलंगाना उसके हाथ लगने वाला है. हिन्दीभाषी बेल्ट में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कांग्रेस हमेशा बीजेपी की सीधी टक्कर देती रही है, लेकिन अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पछाड़ने की उसकी उम्मीदों को झटका लगा है. उत्तराखंड, पंजाब जैसे राज्य वो पहले ही गंवा चुकी है. सबसे ज्यादा 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में वो अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है.


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तीन उत्तर भारतीय राज्यों में हार के बाद कांग्रेस का इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने का दावा और कमजोर होगा. खासकर ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस, बिहार में जदयू-राजद, अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सपा उसके नेतृत्व को स्वीकार करने की स्थिति में कतई नहीं होगी. ऐसे में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी-बिहार, बंगाल-तमिलनाडु जैसे सीटों को लेकर ज्यादा सौदेबाजी नहीं कर पाएगी. कांग्रेस के पास एक विकल्प होगा कि वो 100-150 सीटों पर चुनाव लड़ने की स्थिति को स्वीकार करे या फिर गठबंधन से बाहर आकर एकला चलो रे की तर्ज पर पूरे दमखम से मैदान में उतरे.


आज के चुनाव के नतीजों के आने के बाद भाजपा उत्तर भारत में पूरी तरह यूपी, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय,  नागालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा भाजपा 17 राज्यों में सत्ता में है. वहीं कांग्रेस अकेले अपने दम पर सिर्फ दक्षिण के दो राज्य कर्नाटक, और तेलंगाना में सत्ता में है. और उत्तर भारत में सिर्फ हिमाचल प्रदेश में और बाकी जगह झारखंड बिहार तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा है. आज के नतीजों के बाद पूरे उत्तर भारत में भगवा दल का सत्ता हो गया है. 


इस चुनाव की हार का मुख्य वजह ये भी रहा कि कांग्रेस के पास मोदी के जैसा मैजिकल नेता नहीं हैं और ना ही कांग्रेस के पास इतनी मजबूत काडर है, जो बीजेपी को चुनैती दे सकें. कांग्रेस में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा ऐसा कोई नेता नहीं जो हर राज्य में जाकर चुनाव प्रचार कर सकें. लाख यात्रा करने के बाद भी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल उस स्थिति में नहीं आ पा रहा है, जो सरकार बनवा दें.