UP politics: बुलडोजर एक्शन पर मायावती का रुख नरम, अखिलेश और राहुल बरसे
UP Politics: सुप्रीम कोर्ट की आरोपियों घर बुलडोजर कार्रवाई मामले में टिप्पणी पर बसपा प्रमुख मायावती से लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया दी है.
UP Politics: सुप्रीम कोर्ट की आरोपियों घर बुलडोजर कार्रवाई मामले में बसपा प्रमुख मायावती से लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया दी है. बसपा प्रमुख ने कहा अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन उनके अपराध की सजा परिवार और संबंधियों को नहीं दी जानी चाहिए. बुलडोजर का इस्तेमाल भी सुप्रीम कोर्ट के आने वाले निर्णय के मुताबिक ही होना चाहिए.
'नहीं पड़े बुलडोजर की जरूरत' - मायावती
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए पोस्ट में मायावती ने आगे लिखा कि उचित तो यही होगा कि बुलडोजर का इस्तेमाल करने की जरूरत ही ना पड़े क्योंकि आपराधिक तत्वों को सख्त कानूनों के तहत भी निपटा जा सकता है. यह सब बसपा की रही सरकार ने 'क़ानून द्वारा क़ानून का राज’ (Rule of Law By Law) स्थापित करके भी दिखाया है. आपराधिक तत्वों के परिवार व नजदीकियों पर बुलडोजर का इस्तेमाल करने की बजाय सम्बन्धित अधिकारियों पर ही कठोर कार्रवाई होनी चाहिये, जो ऐसे तत्वों से मिलकर, पीड़ितों को सही न्याय नहीं देते हैं. सरकारों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए.
राहुल गांधी ने भी दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की सराहना करते हुए कहा, " भाजपा की असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण ‘बुलडोजर नीति’ पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी स्वागत योग्य है. मानवता और न्याय को बुलडोजर के नीचे कुचलने वाली भाजपा का संविधान विरोधी चेहरा अब बेनकाब हो गया है. देश बाबा साहब के संविधान से चलेगा, सत्ता की चाबुक से नहीं"
अखिलेश ने की टिप्पणी
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, अन्याय के बुलडोज़र’ से बड़ा होता है, ‘न्याय का तराज़ू’.
महज आरोपी होने के कैसे गिरा सकते घर - SC
जस्टिस गवई ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाया. जस्टिस गवई ने कहा, किसी के महज आरोपी होने पर उसका घर कैसे गिराया जा सकता है. यहां तक कि उसके दोषी साबित होने पर भी यूं ही उसका घर नहीं गिराया जा सकता. SC के पहले रुख के बावजूद सरकार के रुख में हमे कोई बदलाव नजर नहीं आता. कोर्ट ने कहा-हम अवैध निर्माण को संरक्षण देने के पक्ष में नहीं है लेकिन इस बारे में कुछ दिशानिर्देश तय करने की ज़रूरत है. कोर्ट ने कहा, हम देश भर के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे. दोनों पक्षों को इसके लिए सुझाव देने को कहा है.
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