घोसी में क्यों फेल हुआ राजभर फैक्टर, अब योगी सरकार में मंत्रिपद मिलेगा या नहीं?
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घोसी में क्यों फेल हुआ राजभर फैक्टर, अब योगी सरकार में मंत्रिपद मिलेगा या नहीं?

एनडीए के साथ गठबंधन के बाद राजभर का यह पहला चुनाव था. राजभर इसमें फेल हो गए, जिस जातीय समीकरण को साधने के लिए ओमप्रकाश राजभर के साथ गठबंधन हुआ वही फेल हो गया राजभर जाति का वोट ही शिफ्ट नही करा पाए राजभर.गैरयादव ओबीसी के वोटों मे बिखराव से भाजपा की बढ़ी चिंता.

घोसी में क्यों फेल हुआ राजभर फैक्टर, अब योगी सरकार में मंत्रिपद मिलेगा या नहीं?

ghosi by election result 2023 :  घोसी उपचुनाव का नतीजा अब सबके सामने है. चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को हार का सामना करना पड़ा यह पहली बार जब दारा सिंह को विधान सभा के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा, लखनऊ में भाजपा दफ्तर के गलियारों में ऐसे कयास लगाए जा रहे थे, की घोसी पर फतह हासिल करने के बाद दारा सिंह को योगी कैबिनेट मे जगह दी जाएंगी. इसी चुनाव के वजह से योगी कैबिनेट के विस्तार मे देर भी कि जा रही थी.
हाल के ही दिनों में एनडीए गठबंधन के साथ आने वाले सुभासपा के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के लिए भी यह लिटमस टेस्ट था. गठबंधन में शामिल होने के बाद बड़ी -बड़ी बाते करने वाले राजभर के सारे बयान और सारे दावे धरे के धरे रह गये. 

भाजपा क्यों हार गई 
भाजपा के हार का मुख्य वजह उसके सहयोगी दल रहें, राजभर जाति का कुल 45,000 हजार वोट है, तो वहीं निषाद समाज का भी 35000 हजार के लगभग वोट निषाद इस पूरे चुनाव से दूरी बनाए रखे. राजभर वोट तो दारा सिंह के लिए मांग रहे थे. लेकिन खुद का कोर वोट बैंक भाजपा प्रत्याशी के खाते मे शिफ्ट नहीं करा सकें. पार्टी के जो नेता है, उन्हें सहेज नहीं सके और सारे नेता सपा के पाले मे चले गये. सुभासपा अध्यक्ष ने जब से सपा से अपना नाता तोड़ा है, उनके खेमें मे सब कुछ ठिक नही चल रहा है. सुभासपा के कार्यकर्ता अभी असमंजस के स्थिति मे समझ नही पा रहे है, की रहना किस ओर है. सपा ने राजभर के पार्टी का दो फाड़ कर दिया है, जिसका फायदा उन्हें घोसी मे जीत के रूप में हुई.

राजभर पर कितना असरदार हैं , यह हार
ऐसे आसार लगाए जा रहे थे कि घोसी की जीत को तोहफा ओमप्रकाश राजभर को भी मिलने वाला है. उन्हें भी कैबिनेट में मंत्री के रूप जगह दी जानी थी,अब इसपर भी सवाल बना हुआ हैं कि क्या योगी कैबिनेट में राजभर को शामिल किया जाएंगा. गठबंधन में शामिल होने बाद राजभर का यह पहला चुनाव था राजभर उसमे फेल होते नजर आए. राजभर अपनी पूरी पार्टी के साथ भाजपा के लिए वोट मांगते नजर आए. जनसंपर्क के दौरान राजभर और उनके बेटों ने भी अखिलेश पर जमकर बयानबाजी की और उन्हें घेरने का प्रयास किया लेकिन सारे प्रयास बेनतीजा रहा. 

अपने ही भविष्यवाणी से घिरे राजभर 

राजभर हमेशा से अपनी बयान से सुर्खियों में रहते है. चाहे चुनाव का समय हो या फिर चुनाव न हो अभी बीते 5 सितंबर घोसी चुनाव के बाद उन्होंने कहा था की दारा सिंह पोल हुए वोट का 90 प्रतिशत कुल मतदान भाजपा के पक्ष में हुआ है. नतीजा आया तो सारे दावों की कलई खुल गई. ऐसे ही 2022 के विधान सभा में वह योगी जी को मठ भेज रहे थे .और सपा को 350 सीट जिताकर सपा की सरकार बनवा रहे थे.

राजभर कितना प्रभावी

जभर 2024 के लिए भाजपा के लिए बहुत जरुरी है, भाजपा हिंन्दूओं के वोटो में और बिखराव नहीं चाहती है, इसलिए वह राजभर को साथ लेकर चलना चाहती है. राजभर का प्रदेश की 28 सीटों पर सीधा प्रभाव पड़ता है. आकड़ों से जानतें है. कहां कितने है राजभर की संख्या इन लोकसभा सीटों पर राजभर बिरादरी की अच्छी तादात है. 

घोसी -3,90,000
बलिया -2,40,000
गाजीपुर -2,60,000
चंदौली -2,55,000
मछली शहर- 2,25,000
बस्ती -2,05,000
सलेमपुर -3,10,000
मिश्रिख -1,15,000
संतकबीरनगर -2,10,000
कुशीनगर -2,10,000
डुमरियागंज -2,05,000
महाराजगंज -1,15,000
जौनपुर -1,80,000
अंबेडकरनगर- 2,05,000
लालगंज -2,80,000
वाराणसी- 2,10,000
भदोही-2,90,000
गोरखपुर -1,95,000
देवरिया -1,60,000
बांसगांव -1,05,000
गोंडा -1,96,000
श्रावस्ती -1,80,000
बहराइच -1,20,000
कैसरगंज -1,10,000
बाराबंकी -90,000
सुल्तानपुर- 1,00,000
मिर्जापुर -1,05,000
राबर्टसगंज -80,000

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