यूपी उपचुनाव में 10 सीटों पर क्लीन स्वीप की कमान योगी ने संभाली, मुस्लिम-दलित बाहुल्य सीटों से 50-50 का नतीजा भी आसान नहीं
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यूपी उपचुनाव में 10 सीटों पर क्लीन स्वीप की कमान योगी ने संभाली, मुस्लिम-दलित बाहुल्य सीटों से 50-50 का नतीजा भी आसान नहीं

CM Yogi Bypoll Meeting:  सीएम योगी आगामी 10 सीटों सीटों पर विधानसभा उपचुनाव को लेकर तैयारियों में जुट गए हैं. उपचुनाव को 2027 चुनाव में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. 

UP Bypoll 2024

CM Yogi Bypoll Meeting: लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद सीएम योगी आगामी 10 सीटों सीटों पर विधानसभा उपचुनाव को लेकर तैयारियों में जुट गए हैं. उपचुनाव को 2027 चुनाव में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. पार्टी के सामने लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन से गदगद सपा की चुनौती है. उपचुनाव में पुराने प्रदर्शन को दोहराने की  सीएम योगी की भी परीक्षा होगी. आइए जानते हैं, किन सीटों पर उपचुनाव होना है, 2022 में क्या परिणाम थे और इस बार सियासी माहौल क्या है. 

किन 10 सीटों पर होगा चुनाव 
जिन 10 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं, उनमें गाजियाबाद सदर, मिल्कीपुर, कटेहरी, फूलपुर, मझवां, मीरापुर, खैर और कुंदरकी विधानसभा सीट शामिल हैं. इनमें से पांच सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था. जबकि तीन सीटें बीजेपी और एक एक सीट निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के पास थी. इनमें से 9 ऐसी हैं, जहां के विधायक सांसद बने हैं जबकि सीसामऊ पर सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा के बाद सदस्यता जाने के चलते चुनाव होगा. 

इन सीटों पर बीजेपी की परीक्षा 
10 में से 7 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां बीजेपी की राह आसान नहीं है. बीजेपी को यहां समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है. बीते चुनाव के आंकड़े और सीट के सियासी समीकरण इसकी तस्दीक करते हैं. इनमें सपा का गढ़ कही जाने वाली करहल, अवधेश प्रसाद की मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, कटहरी, मीरापुर और फूलपुर शामिल हैं. 

करहल क्यों मुश्किल
मैनपुरी जिले में आने वाली करहल विधानसभा सीट यादव परिवार की परंपरागत सीटों में से एक है. यहां से अखिलेश यादव विधायक थे, अब कन्नौज से सांसद हैं. अखिलेश यादव अपने भतीजे तेजप्रताप को लड़ाने की तैयारी में हैं. यहां यादव वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. करहल सीट पर बीजेपी आजादी के बाद अब तक कमल खिलाने में कामयाब नहीं हो पाई है. 

मिल्कीपुर 
दूसरे नंबर पर अयोध्या की मिल्कीपुर सीट आती है. यहां सपा के सिंबल अवधेश प्रसाद 9 बार विधायक बने हैं. अवधेश प्रसाद ने अयोध्या-फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी को हराकर सभी को चौंकाया था. यहां समाजवादी पार्टी उनके बेटे अजीत प्रसाद को चुनाव लड़ा सकती है. यहां पासी, यादव और ब्राह्णण वोटर निर्णाय भूमिका में माने जाते हैं. 

सीसामऊ
कानपुर की सीसामऊ सीट पर भी बीजेपी की कड़ी परीक्षा होगी. यह समाजवादी पार्टी की मजबूत सीटों में से एक है, जहां इस बार सपा इरफान सोलंकी के परिवार से किसी को टिकट दे सकती है. बीजेपी यहां आखिरी बार 1996 में जीती थी, जबकि 2012, 2017 और 2022 में यहां से सपा के टिकट पर इरफान सोलंकी विधायक चुने गए थे. यहां सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. 

कुंदरकी
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट संभल लोकसभा सीट में आती है, मुस्लिम बहुल होने की वजह से यह सीट समाजवादी पार्टी की गढ़ मानी जाती है. जियाउर रहमान वर्क यहां से विधायक थे, जो इस बार संभल की सीट से सांसदी जीतकर आए हैं. ऐसे में 60 फीसदी मुस्लिम बाहुल्य वाली इस सीट पर भाजपा के लिए जीतना थोड़ा मुश्किल है.इस बार यहां से भाजपा मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकती है. 

कटहरी
कटहरी अंबेडकरनगर की सीट है, जहां से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक लालजी वर्मा विधायक थे और इस बार अंबेडकर नगर से सपा के सांसद बन गए. अब लालजी वर्मा अपनी बेटी छाया वर्मा को यहां से चुनाव लड़ाना चाहते हैं और ये सीट भी बीजेपी के लिए मुश्किल सीटों में से एक है. 

मीरापुर
मुजफ्फरनगर की मीरापुर जीतना भी बीजेपी के लिए आसान नहीं है. 2022 में आरएलडी, सपा गठबंधन ने यह सीट जीती थी, चंदन चौहान जो सपा और आरएलडी के गठबंधन में जीती थी. चंदन चौहान जो सपा और आरएलडी के गठबंधन में जीतकर विधायक बने थे, इस बार बीजेपी-आरएलडी गठबंधन से बिजनौर से सांसद हो गए हैं, लेकिन यह सीट मुस्लिम बहुल होने की वजह से बीजेपी के लिए आसान नहीं है.

फूलपुर
फूलपुर विधानसभा से 2022 में बीजेपी जीती थी, जहां से प्रवीण पटेल विधायक निर्वाचित हुए थे, लेकिन इस बार भाजपा ने प्रवीण पटेल को फूलपुर से सांसदी तो जीत ली, लेकिन प्रवीण फूलपुर की विधानसभा से हार गए.

गाजियाबाद सदर
गाजियाबाद सीट बीजेपी की सेफ सीटों में गिनी जाती है. गाजियाबाद विधानसभा सीट पर 2017 से बीजेपी का कब्जा बरकरार है. 2017 और 2022 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी उम्मीदवार अतुल गर्ग जीते थे. 2022 विधानसभा चुनाव में अतुल गर्ग ने यहां से करीब एक लाख वोटों से जीत दर्ज की थी लेकिन लोकसभा चुनाव में अतुल गर्ग इस विधानसभा सीट से 63,256 वोट की लीड ही ले पाए. यहां वैश्य, एससी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. 

मझवां 
मझवां विधानसभा सीट पर 2017 में बीजेपी उम्मीदवार जीते थे. इसके बाद 2022 में बीजेपी की सहयोगी दल निषाद पार्टी के टिकट पर विनोद कुमार बिंद चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है. यहां दलित-ब्राह्मण और बिंद वोटर सबसे ज्यादा है. 

खैर 
खैर विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकदल का प्रभाव माना जाता है. 2017 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के अनूप प्रधान जीते थे. इसके अलावा 2007 से 2022 तक यहां राष्ट्रीय लोकदल परचम लहराती रही है. अनुमानित जातीय आंकड़ों की बात करें यहां सबसे ज्यादा करीब 1.15 लाख जाट, 70 हजार जाटव और 60 हजार ब्राह्मण वोटर हैं. 

ये मंत्री हैं प्रभारी
करहल में जयवीर सिंह, मिल्कीपुर में सूर्य प्रताप शाही और मयंकेश्वर शरण सिंह, कटेहरी में स्वतंत्र देव सिंह और आशीष पटेल, सीसामऊ में सुरेश खन्ना और संजय निषाद, फूलपुर में दया शंकर सिंह और राकेश सचान, मझवां में अनिल राजभर, गाजियाबाद सदर में सुनील शर्मा, मीरापुर में अनिल कुमार और सोमेंद्र तोमर, खैर में लक्ष्मी नारायण चौधरी और कुंदकरी में धर्मपाल सिंह और जेपीएस राठौर शामिल हैं.

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