Bhang Ki Kheti: औषधीय प्रयोजनों के लिए भांग बेहद जरुरी चीज है. भांग की खेती अभी भारत में उतनी नहीं होती है कि मांग को पूरा कर सके. भारतीय अफीम का इस्तेमाल दवाइयों के साथ साथ न्यूट्रिशन, पर्सनल केयर वेलनेस और इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट बनाने के लिए किया जाता है. उत्तराखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने भी अफीम की चुनिंदा खेती हो रही है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है और किसान भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. यूरोप के कुछ देशों में भारत से अवैध तरीके से भांग और अफीम पहुंचाया जाता है जैसे इजरायल, इटली और  हॉलैंड. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसकी कितनी मांग है. यह अरबों रूपये का बाजार है. 


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भांग की खेती के फायदे 
भांग के पौधे के केवल एक हिस्से को भांग कहते हैं लेकिन इस पौधे का हर हिस्सा ऊंची कीमतों पर बिकता है. भांग का पौधा या कैनाबिस कई तरह के औषधीय गुण भी रखता है. इस पौधे के सबसे ऊपरी भाग फल-फूल वाले हिस्से को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है. इसको सुखाकर इसका तेल निकाला जाता है जिसे चरस कहते हैं और इसकी पत्तियों को भांग कहा जाता है. यही नहीं इस पौधे के तने और जड़ भी इस्तेमाल किये जाते हैं. भांग के बीज को सबसे बैलेंस अनाज माना जाता है. इसके बीज में प्रोटीन, ओमेगा 3,विटामिन और फाइबर होता है इसलिए बीज की भी भारी मांग है. एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी, दिल्ली, सिक्किम, छ्त्तीसगढ़ और पंजाब गांजा-चरस का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले टॉप पांच राज्य हैं. इनमें उत्तर प्रदेश पहले पायदान पर है.  


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कैसे करें खेती
अगर आप भांग की खेती करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले एक लाइसेंस की जरुरत पड़ेगी. यह लाइसेंस  आपको आयुष मंत्रालय से मिलेगा. आप अपने जिले के कृषि विभाग जाकर भी इस बारे में जानकारी जुटा सकते हैं. इसमें सरकार भी मदद करती है. 


कौन खरीदेगा आपसे भांग 
भारत में वैध तरीके से बिकने वाली भांग का बाजार लगभग 50 करोड़ का है. यहाँ लगभग 100 से ज्यादा ऐसे स्टार्टअप हैं जो भांग के पौधों के अलग अलग हिस्से से जुड़े उत्पादों पर काम कर रहे हैं. इन पौधों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल दवाई और पर्सनल केयर के प्रोडक्ट बनाने में होता है. अभी उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में किसान इस खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.


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