लखनऊ: लखीमपुर खीरी कांड की जांच के लिए गठित SIT द्वारा अपनी रिपोर्ट में इस घटना को सुनियोजित बताने के बाद विपक्षी दल अजय मिश्रा टेनी को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पद से हटाने की मांग कर रहे हैं. इसी मुद्दे पर बुधवार को संसद में विपक्ष ने हंगामा किया. अब ताजा खबर यह आ रही है कि अजय मिश्रा टेनी दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि उनसे इस्तीफा लिया जा सकता है. दरअसल, मामले की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने लखीमपुर खीरी कांड को सोची समझी साजिश बताया है और आरोपियों के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश की धाराएं जोड़ने के लिए सीजेएम कोर्ट में एप्लीकेशन दिया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जेल में बंद बेटे पर पूछा सवाल तो भड़के अजय मिश्रा, पत्रकारों को गाली दे मारने दौड़या


एसआईटी ने जो एप्लीकेशन सीजेएम कोर्ट में दी है उसमें लिखा है, ''बारीकी से जांच करने पर स्पष्ट हुआ है कि यह दुर्घटना लापरवाही और उपेक्षापूर्वक गाड़ी चलाते हुए मृत्यु कारित करने का मामला नहीं है. बल्कि सोची समझी साजिश के चलते भीड़ को कुचलने, हत्या करने और हत्या के प्रयास के साथ ही अंग भंग करने की साजिश का मामला है. इस केस में आरोपियों पर हत्या और हत्या के प्रयास के साथ ही अंग भंग करने की धाराएं भी लगाई जानी चाहिए.'' रिपोर्ट में सीजेएम कोर्ट को यह बताया गया है कि लखीमपुर खीरी कांड में एक्सीडेंटल केस से जुड़ी धाराओं को हटाया जा रहा है.


HC का कड़ा निर्देश,एक्सीडेंट में हुई मौत को हमेशा स्पीड से नहीं जोड़ सकती बीमा कंपनी


जेल में बंद केंद्रीय मंत्री अजय​ मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा और अन्य 12 आरोपियों पर लगीं 279, 337, 338, 304ए की धाराएं हटा ली गई हैं और एकराय होकर जानलेवा हमला करने, अंग भंग करने की धाराएं 120बी, 307, 326 बढ़ाई गई हैं. आपको बता दें कि इस साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुई हिंसा में 4 किसानों समेत कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा और उसके दोस्तों पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर आंदोलनरत किसानों को गाड़ी से कूचलकर मार डाला. आक्रोशित भीड़ ने 4 अन्य को पीट पीटकर मौत के घाट उतार दिया था. 


सपा सांसद बर्क अब दिल्ली की जामा मस्जिद को लेकर नाराज, कहा- ध्यान नहीं दिया जा रहा


नवंबर महीने में लखीमपुर हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निगरानी की जिम्मेदारी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज राकेश कुमार जैन को सौंपी थी. साथ ही शीर्ष अदालत ने मामले की जांच कर रही एसआईटी में तीन वरिष्ठ आईपीएएस आधिकारियों पद्मजा चौहान, दीपेन्द्र सिंह और एसबी सिरोडकर की नियुक्ति की थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने भी पूर्व जज की निगरानी में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में प्रतिदिन के आधार पर राज्य की एसआईटी द्वारा जांच कराने के सुझाव पर सहमति जताई थी. 


WATCH LIVE TV