इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द क‍िया मजिस्ट्रेट कोर्ट का आदेश, कहा : मशीन की तरह न करें काम, दिमाग का भी इस्तेमाल करें
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द क‍िया मजिस्ट्रेट कोर्ट का आदेश, कहा : मशीन की तरह न करें काम, दिमाग का भी इस्तेमाल करें

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि मजिस्ट्रेट कोर्ट के एक फैसले पर सुनवाई करते हुए जजों को नसीहत देते हुए कहा है कि ऐसा फैसला न दें, जिससे लगे कि कागज भरने की खानापूर्ति हुई है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द क‍िया मजिस्ट्रेट कोर्ट का आदेश, कहा : मशीन की तरह न करें काम, दिमाग का भी इस्तेमाल करें

प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जजों को नसीहत दी है कि मशीनी अंदाज में काम न करें. फैसला देते वक्त दिमाग का भी इस्तेमाल करें. पाक्सो एक्ट में मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जजों को ये नसीहत दी है. उच्च न्यायालय का कहना था कि जज ऐसे फैसला मत दें जैसे लगे कि कागज भरने की खानापूर्ति हुई है. उच्च न्यायालय ने ये चिंता जाहिर करते हुए यह भी कहा कि इस तरह के रवैये से न्याय प्रभावित होता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाक्सो एक्ट के एक मामले में आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही है. याचिकाकर्ता का कहना था कि उसके विरुद्ध जो भी कार्रवाई की गई है वह बिल्कुल गलत है. आरोपी के वकील ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के सम्मन पर सवालिया निशान लगा दिया था. उसने सवाल उठाते हुए हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि निचली अदालत ने दिमाग का इस्तेमाल किया ही नहीं. सिर्फ मशीनी अंदाज में निर्णय दे दिया गया.

उच्च न्यायालय के जस्टिस शमीम अहमद ने कहा कि आपराधिक मामले में आरोपी को सम्मन करना एक गंभीर मामला है. न्यायालय के आदेश से दिखना चाहिए कि इसमें लीगल प्रोविजन पर विचार किया गया है. न्यायिक फैसले से लगना चाहिए कि न्यायालय ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया है. 

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पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि याचिका डालने वाले शख्स पर एक लड़की को बहलाने फुसलाने का आरोप है. वह लड़की को अपने साथ भाग चलने के लिए मजबूर कर रहा था. हालांकि सरकारी वकील ने इस बात पर कोई विरोध नहीं जताया जिसमें आरोपी के वकील ने कहा था कि फैसला मशीनी अंदाज में सिर्फ कागज भरने के अंदाज में दिया गया. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि जज को जांच अधिकारी की रिपोर्ट पर सूक्ष्मता से ध्यान देना चाहिए था. उन्हें देखना था कि जो सबूत जुटाए गए वह क्या आरोपी को सम्मन करने के लिए मशीनी तरीके से कुछ भी कहना उचित नहीं है.

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