कृषि क्षेत्र में ड्रोन एक अहम बदलाव लेकर आएंगे. खाद और कीटनाशकों के छिड़काव से लेकर फसल की निगरानी में ड्रोन का इस्तेमाल होगा. ऐसे में कानपुर यूनिवर्सिटी ने ड्रोन की ट्रेनिंग के लिए नई पहल की है.
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कानपुर: इंजीनियरिंग और साइंस बैकग्राउंड के अलावा अब बीए और अन्य ग्रेजुएशन कोर्स कर चुके छात्र भी ड्रोन पायलट बन सकेंगे. इसके लिए उन्हें सिर्फ एक शार्ट टर्म कोर्स की ट्रेनिंग करनी होगी. स्टूडेंट को इस ट्रेनिंग के दौरान ड्रोन उड़ाने की बारीकी बताई जाएगी. कानपुर विश्वविद्यालय में ड्रोन लैब के साथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जा रही है. हालांकि सेंटर में कृषि से जुड़े स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाएगा. छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय सामान्य एवं प्रोफेशनल ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन स्टूडेंट को वोकेशनल ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है.
यूनिवर्सिटी कैंपस में पहली बार शुरू किए गए कृषि पाठ्यक्रम में ड्रोन की ट्रेनिंग देने की तैयारी की गई है. कुलपति ने सभी छात्र-छात्राओं को ड्रोन ट्रेनिंग देने का निर्देश दिया है. बताया जा रहा है कि ड्रोन लैब इसी सेशन में स्थापित की जाएगी. ड्रोन ट्रेनिंग के लिए एक कमेटी भी गठित करने का निर्देश दिया गया है.
कृषि क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग को बढ़ाने और हर किसान तक टेक्नोलॉजी पहुंचाने के लिए मोदी सरकार भी 100 फीसदी तक आर्थिक सहायता दे रही है. एक योजना के अंतर्गत कृषि ड्रोन खरीदने के लिए एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और कृषि प्रशिक्षण संस्थानों को 100 फीसदी सब्सिडी दी जाती है.
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इस स्कीम के तहत किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) भी 75 फीसदी की सब्सिडी (अधिकतम 10 लाख रुपये) पर कृषि ड्रोन खरीद सकते हैं. महिला किसान, एससी-एसटी किसानों को कृषि ड्रोन की खरीद पर 50 प्रतिशत (अधिकतम 5 लाख रुपये) और सामान्य वर्ग के किसानों को 40 फीसदी (अधिकतम 40 लाख) तक की सब्सिडी दी जाती है. इससे पहले उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में दो ड्रोन पायलट ट्रेनिंग स्कूल को मंजूरी दी जा चुकी है.
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