Baisakhi 2022: सिख धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म में भी बैसाखी पर्व का महत्व है..... इस दिन स्नान-दान और पूजा पाठ करने का विधान है... पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मुनि भागीरथ ने देवी गंगा को धरती में उतारने के लिए कठोर तपस्या की थी और आज के दिन ही उनकी तपस्या पूरी हुई थी. इसलिए आज के दिन गंगा स्नान के साथ गंगा जी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है.....
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Happy Baisakhi 2022: आज देश भर में बैसाखी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. बैसाखी के त्योहार को खुशहाली और समृद्धि का पर्व माना जाता है. हर साल ये पर्व अप्रैल के महीने में मनाया जाता है. मुख्य तौर पर यह त्योहार पंजाब, हरियाणा, उत्तj भारत आदि जगहों पर धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदी कैलेंडर के अनुसार इस दिन को हमारे सौर नववर्ष की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है. ये पावन त्योहार भारतीय किसानों का माना जाता है.
सिख समुदाय के लोगों के लिए बैसाखी पर्व काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दिन वह अपने करीबियों, रिश्तेदारों के संग मिलकर खुशियां मनाते हैं. इस दिन विधिवत तरीके से अनाज की पूजा करने के साथ अच्छी फसल के लिए भगवान को शुक्रिया कहते हैं. इस साल ये त्योहार 14 अप्रैल को मनाया जा रहा है. इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं देते हैं और खुशियां मनाते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से जानते हैं. असम में इसे बिहू, केरल में पूरम विशु, बंगाल में नबा वर्ष जैसे नामों से जाना जाता है.
क्यों और कैसे मनाते हैं बैसाखी का त्योहार?
इस पर्व की शुरुआत सिख पंथ के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी. इस दिन से ही बैसाखी पर्व की शुरुआत भी हुई थी. सिख धर्म की स्थापना के साथ-साथ फसल पकने के रूप में ये पर्व मनाते हैं. दरअसल, इस महीने से ही रबी फसल पक कर तैयार हो जाती है और काटना शुरू कर दिया जाता है. इसी कारण किसान लोग अपनी खुशी त्योहार के रूप में मनाते हैं.बैसाखी के दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है. लोग तड़के सुबह उठकर गुरूद्वारे में जाकर प्रार्थना करते हैं. इस दिन गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ होने के साथ कीर्तन आदि होते हैं. बैसाखी के दिन लोग एक-दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं देते हैं. तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं.
क्या है वैशाखी का शुभ मुहूर्त?
पंचांग के अनुसार. इस साल बैसाखी का त्यौहार 14 अप्रैल को मनाया जा रहा है. वैशाखी संक्रांति का क्षण 8:56 पर सुबह होगा.
जानें बैसाखी पर्व का महत्व?
सिख धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म में भी बैसाखी पर्व का महत्व है. इस दिन स्नान-दान और पूजा पाठ करने का विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मुनि भागीरथ ने देवी गंगा को धरती में उतारने के लिए कठोर तपस्या की थी और आज के दिन ही उनकी तपस्या पूरी हुई थी. इसलिए आज के दिन गंगा स्नान के साथ गंगा जी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इसी दिन सूर्य ग्रह मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करता है. इसी कारण इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं.
बैसाखी के दिन हुई थी खालसा पंथ की स्थापना
सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को बैसाखी के दिन ही खालसा पंथ की स्थापना की थी. खालसा पंथ का उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और समाज की भलाई करना है. इस वजह से सिखों के लिए बैशाखी का विशेष महत्व होता है.
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