Barabanki news: बाराबंकी में प्रोजेक्ट समृद्धि के नाम एक खास पहल शुरू की है. इस प्रोजेक्ट के तहत हर गांव में एक किसान को सेलेक्ट किया गया है, जो आगे आओ करके सीखें की तर्ज पर अपने साथियों को समृद्धि का रास्ता दिखाएंगे.
Trending Photos
नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: बाराबंकी के किसानों की फसलों का उत्पादन अच्छा हो और उनको बेहतर मूल्य मिल सके, इसके लिए बाराबंकी में प्रोजेक्ट समृद्धि के नाम एक खास पहल शुरू की है. इस प्रोजेक्ट के तहत हर गांव में एक किसान को सेलेक्ट किया गया है, जो आगे आओ करके सीखें की तर्ज पर अपने साथियों को समृद्धि का रास्ता दिखाएंगे.
दरअसल बाराबंकी के जिलाधिकारी के द्वारा प्रोजेक्ट समृद्धि शुरू करने का मकसद किसानों को आधुनिक खेती के तौर-तरीके सिखाना और उनकी आमदनी बढ़ाना है. इसी पहल के तहत डीएम ने अपनी अध्यक्षता और सीडीओ की निगरानी में जिले के प्रगतिशील किसानों और खेती से जुड़े विभागों के अधिकारियों व विशेषज्ञों की एक 42 सदस्यीय कोर कमेटी बनाई है. 10 वर्किंग कमेटियां जिला स्तरीय अधिकारियों की अध्यक्षता में बनाई गई हैं. जिससे किसानों को प्रशिक्षित कर उनकी मृदा के अनुकूल फसलों का उत्पादन कराया जाए, ताकि जिले के किसानों को खेती-किसानी के नये-नये तरीके सिखाये जा सकें। जिससे कम लागत में उनकी ज्यादा कमाई हो सके।
प्रोजेक्ट समृद्धि के लिये कुछ अर्हताएं भी तय की हैं, जिसके तहत जिले की 1155 ग्राम पंचायतों में चुने जाने वाले फोकस्ड किसानों के पास कम से कम एक एकड़ जमीन हो. साथ ही नये तरीके से खेती बाड़ी करने में दिलचस्पी हो. इनका मार्गदर्शन करने के लिए न्याय पंचायत स्तर पर मास्टर ट्रेनर किसान सेलेक्ट किये गए हैं. 136 न्याय पंचायतों के लिए किसानों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है.
डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि इन कमेटियों में अच्छा काम करने वाले और प्रगतिशील किसान के साथ-साथ कृषि विकास क्षेत्र से जुड़े दूसरे लोग शामिल हैं, जो आओ करके सीखें की तर्ज पर किसानों को खेत पर ही बेहतर किसानी के गुर सिखा रहे हैं. वहीं कमेटी में जुड़े अधिकारियों में से जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि किसानों की सभी प्रकार की समस्याओं के समाधान के लिए 11 प्रकार की कमेटियां बनाई गई हैं. जिनमें एक विभागीय अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक और एक प्रगतिशील किसान को शामिल किया गया है.
प्रमुख रूप से उर्वरक, पेस्टिसाइड, मृदा स्वास्थ्य, रसायन, मार्केट, बीज व्यवस्था, प्रजाति चयन, कृषि लागत गणना, फसलों के अंतरराष्ट्रीय मानक, मिलेट्स उत्पादन, जल प्रबंधन एवं जल उपयोग, फसल विविधीकरण और कृषि डाटा एकत्रीकरण प्रबंधन और उपयोग समितियां शामिल हैं. प्रगतिशील किसान अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जिले के किसानों को केला, टमाटर, आलू, मेंथा, खरबूजा, तरबूज, मिर्च, शिमला मिर्च, आम सहित दूसरी फसलों के बेहतर उत्पादन से जुड़े तरीके बताये जा रहे हैं. इसके अलावा विशेषज्ञ मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन के लिए भी किसानों को प्रेरित कर रहे हैं.