UP में मंत्रियों-विधायकों के कामकाज का फीडबैक ले रही BJP, लगेगा 'काम नहीं तो टिकट नहीं' फॉर्म्यूला
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UP में मंत्रियों-विधायकों के कामकाज का फीडबैक ले रही BJP, लगेगा 'काम नहीं तो टिकट नहीं' फॉर्म्यूला

इसकी एक वजह यह मानी जा रही है कि बीते दो साल कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गए. कोरोना काल की दिक्कतों में जनता की अपेक्षाएं अपने जनप्रतिनिधियों से बहुत ज्यादा थीं. 

सांकेतिक तस्वीर.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब 5 महीने से भी कम वक्त बचा है. केंद्र की सत्ता यूपी से होकर जाती है. यह राज्य लोकसभा में 80 सांसद चुनकर भेजता है. इसलिए यूपी चुनाव पर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की भी पैनी नजर है. उत्तर प्रदेश को लेकर केंद्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा बैठकें हो रही हैं, जिनमें शीर्ष नेता हिस्सा ले रहे हैं. बीते दिनों राजधानी दिल्ली में उत्तर प्रदेश को लेकर अनौपचारिक रूप से दो महत्वपूर्ण बैठकें हुई. एक बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और दूसरी बैठक में गृहमंत्री अमित शाह मौजूद रहे.

मंत्रियों-विधायकों के कामकाज की समीक्षा
भारतीय जनता पार्टी यूपी में सत्ता बचाने के लिए जी जान से जुटी है. इसलिए प्रदेश और केंद्रीय स्तर पर यूपी के मंत्रियों और विधायकों के कामकाज की समीक्षा की जा रही है. सभी विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में संगठन और अन्य स्रोतों से पार्टी जनता का मूड जानने की कोशिश कर रही है. भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो आधे विधायक ऐसे हैं जिनके कामकाज से उनके निर्वाचन क्षेत्र की जनता संतुष्ट नहीं है. पार्टी आगामी चुनाव में उन सभी विधायकों के टिकट काट सकती है, जिनका फीडबैक अच्छा नहीं मिल रहा है. 

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सत्ता विरोधी माहौल को खत्म करना है
भाजपा के चुनावी अभियान का एक बड़ा हिस्सा सत्ता विरोधी माहौल को खत्म करना है. ऐसे में विधायकों के कामकाज के साथ मंत्रियों के कामकाज का भी पूरा आकलन किया जा रहा है. भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार विधायकों के टिकट तो बड़ी संख्या में कटेंगे ही, साथ ही कई मंत्रियों पर भी गाज गिर सकती है. उन्हें भी आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी टिकट से महरूम रख सकती है. शुरुआती आकलन के अनुसार, सरकार के लगभग आधे मंत्री ऐसे हैं, जिनका कामकाज जनता को बेहतर नहीं लगा है.

कोरोना काल में नाराजगी ज्यादा बढ़ी है
इसकी एक वजह यह मानी जा रही है कि बीते दो साल कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गए. कोरोना काल की दिक्कतों में जनता की अपेक्षाएं अपने जनप्रतिनिधियों से बहुत ज्यादा थीं. इस कारण उनकी नाराजगी मंत्रियों से ज्यादा बढ़ी है. हालांकि अब सरकार विभिन्न स्तरों पर तेजी से काम कर रही है और इस नाराजगी को काफी हद तक कम करने की कोशिश भी की जा रही है. साथ ही जातीय और क्षेत्रीय समीकरण दुरुस्त करने पर पार्टी का ध्यान है. हर जिले में शिलान्यास और लोकार्पण का दौर शुरू हो चुका है. प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह सहित अन्य बड़े नेआतों का भी यूपी दौरा जल्द शुरू होगा.

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