मनीष गुप्ता/आगरा: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने भले ही शाही महल में अंतिम सांस ली हों, मगर ताजनगरी आगरा उनकी कई यादें संजोए हुई हैं. वर्ष 1961 में ताजमहल का दीदार करने आईं महारानी एलिजाबेथ एक ऐसे बंगले में रुकी थीं. जिसे विशेष तौर पर उनके लिए ही तैयार कराया गया था. इस बंगले का निर्माण आजादी से पहले लार्ड डलहौजी ने करवाया था.फूस और मिट्टी के मिश्रण से निर्मित इस फूस बंगले में एयर कंडीशनर जैसा आराम मिलता था. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल इतिहासकार राज किशोर राजे बताते हैं कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ आजाद भारत में 3 बार आई थीं. पहली बार महारानी एलिजाबेथ को जब क्वीन विक्टोरिया और अब्दुल की प्रेम कहानी के बारे में पता चला था, तब उनको भारत जाकर कहानी जानने की लालसा उठी. यही वजह थी कि महारानी एलिजाबेथ प्रिंस फिलिप के साथ ताजमहल का दीदार करने 30 जनवरी 1961 को आगरा आई थीं.


आगरा के मुख्य इतिहासकार राज किशोर शर्मा ''राजे'' ने बताया की ब्रिटेन को लोगों को भारत बहुत गर्म देश लगता था. रानी एलिजाबेथ जब पहली बार आगरा आई थीं तो वो ताजमहल के पश्चिमी गेट के निकट फूस बंगले में रुकी थीं. एयरपोर्ट से यहां तक उनका काफिला आया था और यहां रुकने के बाद वो खुली कार में ताजमहल पूर्वी गेट से ताज देखने गयी थीं. वापसी के दौरान थोड़ा विश्राम करने के लिए वो दोबारा यहां आयी थीं और फिर आगरा किला देखकर वापस दिल्ली चली गयी थीं. 


फूस बंगले में रहता है टेम्परेचर कम
राज किशोर राजे ने बताया की फूस का बंगला ककैया ईंटों से बना है और इसकी दीवार और छत एक मंजिल से काफी ज्यादा ऊंची हैं. इसके साथ ही पुरानी धन्नियों से छत के गार्टर बने हैं और उन पर पत्थर की जगह फूस लगाकर ढका गया है. इस की छत पर मजदूर मश्कों में पानी भरकर पहुंचते थे और फूस को गीला कर देते थे. जितनी अधिक गर्मी और लू चलती थी, यह बंगला अंदर से उतना ज्यादा ठंडा रहता है. इस बंगले का निर्माण 1854 के लगभग लार्ड डलहौजी ने करवाया था. कलकत्ता से आगरा रेल लाइन शुरू करने के प्रोजेक्ट पर काम के दौरान वो यहां रुकता था. 


आजादी के बाद उद्यान विभाग कर रहा देखभाल
इतिहासकार राजे के मुताबिक, आजादी के बाद उद्यान विभाग को इस बंगले की जिम्मेदारी मिली. 1980 तक यहां पर जिला उद्यान अधिकारी का निवास होता था. इसके बाद जर्जर हालात के चलते यहां कोई रहने नहीं आता था. 2016 में उद्यान विभाग ने इसका जीर्णोंद्धार करवाया. आगरा में इसके अलावा एक फूस का बंगला एमजी रोड पर आगरा कालेज के बीएन हॉस्पिटल के पास था, जो अब वक्त के थपेड़ों के बीच दम तोड़ चुका है.