एक बात तो तय है कि लोकसभा चुनाव से पहले जातीय जनगणना का मुद्दा काफी गरम होगा. यही वजह है की जेडीयू, आरजेडी और एसपी के बाद अब बीएसपी भी इस मुद्दे पर काफी आक्रामक है.
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Jati Janganana: लोकसभा चुनाव से पहले जातीय जनगणना का मुद्दा काफी गरम होता जा रहा है. बिहार में नीतीश और आरजेडी गठबंधन सरकार जातीय जनगणना को मंजूरी दे चुकी हैं. यूपी में समाजवादी पार्टी लगातार इसकी मांग कर रही है. बीजेपी इस मुद्दे पर जहां फूंक-फूंक कर कदम रख रही है वहीं बीएसपी भी इसमें छिपे पॉलिटिकल माइलेज को हासिल करना चाहती है. यही वजह है बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है. रविवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए कहा कि ''कांग्रेस पार्टी द्वारा रायपुर अधिवेशन में जातीय जनगणना व प्राइवे सेक्टर में आरक्षण आदि को लेकर कही गई बातें छलावा तथा घोर चुनावी स्वार्थ की इनकी राजनीति नहीं तो और क्या है, क्योंकि सत्ता में होने पर कांग्रेस ठीक इसका उलटा ही करती है. बीजेपी का भी रवैया ऐसा ही छलावा पूर्ण.''
बसपा प्रमुख ने कहा कि ''साथ ही, प्रोन्नति में आरक्षण के चर्चित व महत्त्वपूर्ण मुद्दे को लेकर कांग्रेस व भाजपा द्वारा सपा को आगे करके सम्बंधित बिल को संसद में पारित नहीं होने देने के जातिवादी षडयंत्र को भला कौन भुला सकता है, जिसका अति दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम इन वर्गों को आजतक भुगतना पड़ रहा है.''
बीएफसी चीफ यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने कहा कि ''इन्हीं बीएसपी-विरोधी पार्टियों के षडयंत्र का परिणाम है कि सरकारी नौकरी व शिक्षा में इन वर्गों का आरक्षण लगभग निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बन गया है तथा इनकी आरक्षित सीटें वर्षों से खाली हैं जबकि ईडब्लूएस का नया लागू कोटा सरकार मुस्तैदी से भरती है. अतः हर स्तर पर सावधानी जरूरी.''
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एक अन्य ट्वीट में मायावती ने कहा कि ''इतना ही नहीं कांग्रेस व अन्य जातिवादी पार्टियां सत्ता में रहते खासकर दलित व आदिवासी वर्ग को पार्टी संगठन में भी उच्च पदों से दरकिनार रखती हैं अर्थात अच्छे वक्त में अन्य वर्गों को ही पूरा महत्त्व तथा सत्ता से बाहर होने पर बुरे वक्त में इनकी याद एवं उनके वोट के लिए घड़ियाली आंसू.''
दरअसल कांग्रेस का 85वां महाधिवेशन बीते सप्ताह हुआ था. ये अधिवेशन छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ था. जिसमें कांग्रेस ने जातीय जनगणना और प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण समेत कई मुद्दों पर बयान दिया था. जिसपर अब बीएसपी चीफ मायावती की प्रतिक्रिया आई है.
अखिलेश ने उठाया था मुद्दा
अखिलेश यादव ने कुछ दिनों पहले विधानसभा में जातीय जनगणना का मुद्दा उठा कर इस मुद्दे को हवा दे दी है. इसके बाद मायावती भी लगातार इस मुद्दे पर बयान जारी कर रही हैं. दरअसल उन्हें पता है कि पिछड़ों की इस राजनीति में उन्हें भी जगह बनानी होगी. यदि ऐसा करने में वह नाकाम रहीं तो दलित वोटबैंक के भरोसे एक बार फिर उन्हें सियासी नाकामी हाथ लगेगी.
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