Chhath puja 2021: छठ पर्व के तीसरे दिन दिया जाएगा डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य, जानें कैसे शुरू हुई परंपरा?
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Chhath puja 2021: छठ पर्व के तीसरे दिन दिया जाएगा डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य, जानें कैसे शुरू हुई परंपरा?

Chhath Puja 2021: छठ पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाने वाला त्योहार है. इसे खासतौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी भारत में बहुत ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है.

Chhath puja 2021: छठ पर्व के तीसरे दिन दिया जाएगा डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य, जानें कैसे शुरू हुई परंपरा?

Chhath Puja Sandhya Arghya: हिंदू पंचांग के अनुसार छठ पूजा (Chhath Puja) कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. छठ पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाने वाला त्योहार है. इसे खासतौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी भारत में बहुत ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है. चार दिवसीय छठ महापर्व के तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्यदेव को अर्घ्य (Sandhya Arghya) दिया जाता है. 

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छठ महापर्व (Chhath Mahaparv) चार दिनों तक चलेगा. इस पर्व पर चारों दिन अलग-अलग तरीके से पूजा की जाती है. छठ पूजा का व्रत संतान और उसकी लंबी उम्र के लिए किया जाता है. ये बेहत कठिन व्रत होता है क्योंकि इसमें व्रत करने वाली महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं. इसके बाद आखिरी दिन सूर्योदय से पहले पानी में  खड़े रहकर भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के बाद व्रत का समापन किया जाता है.

छठ पूजा का तीसरा दिन
10 नवंबर यानी आज छठ पूजा का तीसरा दिन है जब श्रद्धालु घाटों पर संध्या अर्ध्य (Sandhya arghya) देने के लिए पहुंचेगे. 11 नवंबर यानी चौथे दिन छठ पूजा का उषा अर्ध्य दिया जाएगा और इसके साथ ही महाछठ पर्व का पारण होगा. 

बनता है सूर्य को चढ़ाया जाने वाला भोग
नहाय-खाए और लोहंडा व खरना के बाद तीसरे दिन व्रतधारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दिन भगवान सूर्य (Lord Surya) को चढ़ाया जाने वाला भोग बनाया जाता है. इस भोग को बनाते समय काफी साफ -सफाई का ध्यान रखा जाता है. सूर्यास्त के दौरान व्रत रखने वाले भक्त सूर्य देव की पूजा की तैयारी करते हैं और टोकरी की पूजा करते हैं.

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डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्ध्य
श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना आदि सामान सजाते हैं और इसके बाद घर से नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं. इसके बाद स्नान कर डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं. छठ (Chhath Puja) पहला ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है और उन्‍हें अर्घ्य दिया जाता है. बिहार (Bihar), झारखंड और यूपी के कुछ हिस्‍सों में मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को बहुत ही शालीनता, सादगी और आस्‍था से मनाये जाने की परंपरा है.

ये है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही कारण है कि छठ पूजा में शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.

सूर्यास्त का समय
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 30 मिनट पर है और छठ पूजा के चौथे दिन सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर है.

नोट: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. हम इनकी पुष्टि नहीं करते हैं. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.

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