Lucknow news: एलडीए के विरुद्ध न्यायालयों में कई मुकदमों से संबंधित पत्रावलियां गायब हो जाने की सूरत में अब एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. इसी के साथ ऐसा मामला आने के बाद विभागीय जांच कराई जाएगी. जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी...
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मयूर शुक्ला/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की अब खैर नहीं है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट और दागदार अधिकारी और कर्मचारियों के माथे पर चिंता की लकीरें आनी शुरू हो गई हैं. अब ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी हो गई है. इस मामले में एलडीए के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने एक फरमान जारी किया है.
फाइल गायब होने पर दर्ज होगी एफआईआर
आपको बता दें कि एलडीए के विरुद्ध न्यायालयों में कई मुकदमों से संबंधित पत्रावलियां गायब हो जाने की सूरत में अब एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. इसी के साथ ऐसा मामला आने के बाद विभागीय जांच कराई जाएगी. जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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एलडीए के उपाध्यक्ष ने कहा
इस मामले को लेकर प्राधिकरण में बैठक हुई. जिसमें एलडीए के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि प्राधिकरण के विरुद्ध विभिन्न न्यायालयों में वाद योजित हैं, लेकिन उससे संबंधित संपत्ति या अभियंत्रण की पत्रावली उपलब्ध ना होने के कारण न्यायालय में वादों की पैरवी नहीं हो पाती है. ऐसे में प्राधिकरण के विरुद्ध आदेश पारित होने की भी संभावना रहती है. कार्य में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
अनाधिकृत प्लाटिंग के खिलाफ चलेगा अभियान
आपको बता दें कि स्वतंत्रता दिवस के बाद राजधानी लखनऊ में 17 अगस्त से 31 अगस्त तक अनाधिकृत प्लॉटिंग के विरुद्ध अभियान चलाया जाएगा. एलडीए वीसी ने बताया कि प्रॉपर्टी डीलर किसानों से जमीन खरीद कर बिना लेआउट पास कराएं, अनाधिकृत रूप से कॉलोनियां विकसित कर देते हैं, जिसके बाद भविष्य में लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ता है.
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प्राधिकरण ने दिया निर्देश
उन्होंने बताया कि ऐसे में प्लॉटिंग की शुरुआत में ही उचित कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि आम जनता को बाद में परेशानी न झेलनी पड़े. इसके साथ ही इंद्रमणि त्रिपाठी ने ये निर्देश दिए गए हैं कि जिन जगहों से अवैध कब्जे हटवाए गए हैं, वहां पर लाल निशान या बोर्ड लगाए जाएं, ताकि वह दोबारा अनाधिकृत निर्माण ना हो सके.
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