दीपावली का त्योहार पूर्वांचल के किसानों की तकदीर बदलने वाला होता है. वाराणसी में फूलों की मंडी से हर दीपावली में हजारों ट्रक फूल अलग-अलग प्रदेशों में भेजा जाता है.
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जयपाल/वाराणसी: देशभर में प्रकाश के महापर्व दीपावली की है धूम है. यह पर्व आस्था के साथ कारोबार को भी नई ऊंचाई देता है. काशी में स्थित पूर्वांचल की सबसे बड़ी फूल मंडी में दिपावली पर जबरदस्त खरीदारी हो रही है. इस मंडी में आने वाले फूलों की मांग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. यहां से फूल मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़,बिहार,दिल्ली,बेंगलुरु के साथ ही नेपाल भेजे जाते हैं. बताया जाता है कि इस मंडी में हर साल सिर्फ दीपावली के दिन ही 15 से 20 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. यहां गेंदा के फूलों से बनी मालाओं की कीमत 4000 प्रति सैकड़े के हिसाब से है.
धनतेरस से शुरू हो जाती है खरीद-बिक्री
थोक मंडी में फूलों की खरीदी धनतेरस से ही शुरू हो जाती है खरीदारी. देश की सबसे बड़ी फूलों की मंडी में शुमार होने की वजह से इसका सीधा लाभ पूर्वांचल के किसानों को मिलता है. पूर्वांचल के लगभग सभी जिलों से किसान यहां फूल बेंचने आते हैं. फूलों के इस कारोबार से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है. खास बात यह है कि इसमें बड़ी संख्या महिलाओं की होती है.
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गेंदा और गुलाब की सबसे अधिक मांग
बनारस के सैकड़ों गांवों में किसान फूलों की खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं. यहां जिन फूलों की खेती होती है उनमें गुलाब, बेला, चमेली तो कहीं ग्लेडुलस, रजनीगंधा और जरबेरा का भी उत्पादन होता है. हालांकि सबसे अधिक मांग गेंदा और गुलाब की है. पूर्वांचल में हजारा गेंदे की खेती अत्यंत लोकप्रिय है. गेंदे की खेती के प्रसिद्ध होने की सबसे अहम वजह इसको शीत या ग्रीष्म ऋतु दोनों में हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है. फूलों के पोषण के लिए धूप वाला वातावरण सबसे बढ़िया माना जाता है.