Phoolan Devi's Kidnapper Dies: आइए जानते हैं कौन था यह छेदा सिंह जिसने फूलन देवी के प्रेमी विक्रम मल्लाह को मार कर उसे अगवा किया था. इसके बाद फूलन के साथ जो हुआ उसी के चलते बेहमई कांड हुआ. बहमई कांड में दिन दहाडे़ 21 लोगों को गोलियों से भूना गया था. उसने आप को कागजों मे मार दिया है. मगर परिवार के दावों पर पुलिस को यकीन नहीं था.
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Phoolan Devi's Kidnapper Dies: डकैत से नेता बनीं फूलन देवी के साल 1980 में कथित अपहरण और उनके प्रेमी की हत्या के आरोप के 52 साल बाद छेदा सिंह का टीबी रोग से इटावा के सैफई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में निधन हो गया. Chheda Singh को 1998 में भगोड़ा घोषित किया गया था. 5 जून, 2022 को औरैया जिले के भसौन गांव से गिरफ्तार किया गया था. उसके ऊपर 50 हजार रुपये का इनाम था. गिरफ्तारी के बाद उन्हें इटावा जेल भेज दिया गया.
छेदा सिंह ने फूलन देवी के डर से सरेंडर कर दिया था, लेकिन बाद में जमानत पर बाहर आया और फरार हो गया. छेदा सिंह पूरे 24 साल तक अपना वेष बदल कर रह रहा था और आखिरकार पकड़ा गया.
फूलन देवी का किया था अपहरण, 24 साल बाद हुआ था गिरफ्तार
बता दें कि छेदा सिंह पर चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय बनने लेकर देश की संसद तक सफर तय करने वाली दस्यू सुंदरी फूलन देवी(Bandit Sundari Phoolan Devi) के अपहरण का आरोप था. आरोपी छेदा सिंह को औरैया पुलिस ने 24 साल बाद गिरफ्तार किया. डकैत साधू के भेष में फरारी काट रहा था. पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर कार्रवाई करते हुए डाकू को गिरफ्तार किया.आरोपी करीब 24 साल से फरार चल रहा था, उस पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।
जानिए कौन है छेदा सिंह
छेदा सिंह औरैया के भसौन का रहने वाला था. छेदा सिंह लालाराम गैंग का सक्रिय सदस्य था, जो 24 साल पहले फरार हो गया था. 20 साल की उम्र में लालराम गिरोह में शामिल हुआ था. उस पर पुलिस ने 50 हजार का इनाम रखा था. साल 1980 में उसने अपने विरोधी विक्रम मल्लाह के गैंग का सफाया करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. सिर्फ इतना ही नहीं वह विक्रम मल्लाह (Vikram Mallah) की प्रेमिका फूलन देवी को किडनैप करके अपने गिरोह के साथ ले गया था.
दर्जनों मुकदमे दर्ज
उसके खिलाफ मध्य प्रदेश के अलावा, जालौन, कानपुर देहात और औरैया में दर्जनों फिरौती और लूट की घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज हैं. यही नहीं, आरोपी अस्ताकांड में फूलन देवी के साथ बैहमई कांड का बदला लेने के दौरान लालाराम का साथ देते हुए अस्ता में 12 लोगों को गोली का शिकार बनाने की घटना में शामिल था. बता दें कि छेदा सिंह पर अयाना थाना समेत आसपास के जिलों और मध्यप्रदेश में करीब 24 से ज्यादा केस दर्ज हैं. उसको गिरफ्तार करने वाली टीम को 50 हजार रुपये का इनाम दिया गया था.
नाम बदलकर चित्रकूट में संत महात्माओं के साथ रहता था
जब गैंग खत्म होने लगे. तो उसने खुद को मृत घोषित दिखाकर अपनी जमीन अपने भाई अजब सिंह के नाम करवा दी थी. इसके बाद वह उस इलाके को छोड़कर चित्रकूट में दूसरे नाम से आधार कार्ड और अन्य कई जरूरी दस्तावेज बनाकर एक सन्यासी के रूप में रह रहा था. जब वह गिरफ्तार किया तब उसके पास से फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड भी बरामद किया गया था.
इसके बाद नहीं आया पुलिस के हाथ
फूलन देवी के खौफ से छेदा सिंह ने 1984 में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. इसके बाद वह जमानत पर बाहर आ गया. साल 1998 में कुछ लोगों का अपहरण किया था और इसी मामले में वह फरार हो गया जिसके बाद फिर इसे पुलिस कभी पकड़ नहीं सकी.
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