अयोध्या. धर्म और आस्था के केंद्र मानी जाने वाली भगवान राम (Lord Ram) की जन्मस्थली अयोध्या ( Ayodhya)  में बनने वाले भव्य राममंदिर (Ram Mandir) का सभी को इंतजार है. पर इस राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण से जुड़ी डिटेल्स लोगों के सामने नहीं आ पा रही हैं. अब मंदिर निर्माण से जुड़ी अनसुनी और बेहद महत्वपूर्ण जानकारी को हमसे शेयर किया खुद राम जन्मभूमि (Ram janmabhoomi) तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के महामंत्री चम्पत राय (Champat rai) ने. वह जी यूपी यूके की ओर से 'उत्तरप्रदेश की बात-अयोध्या से' कॉन्क्लेव में शामिल हुए और वहां भव्य राममंदिर (Ram Mandir) निर्माण की प्रक्रिया, उसके पूरे होने की तारीख, बनने की तकनीक आदि पर विस्तार से चर्चा की. पढ़िए उन्होंने क्या कहा.
 
कहीं सरयू की धारा फिर रास्ता न बदल ले  
चम्पत राय ने बताया कि भारत में इंजीनियरिंग की जितनी अच्छी से अच्छी संस्थाएं हो सकती थीं, उनके परामर्श से भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. किसी भी भवन का सबसे पहला और मुख्य काम होता है उसकी जमीन के नीचे नींव तैयार करना है. इस भव्य मंदिर की नींव बनाने के लिए यहां पर परिस्थितियां सामान्य नहीं हैं. 
सबसे पहली विषम परिस्थिति तो सरयू नदी  का किनारा है. इसरो से जो फोटो हमारे पास आए उनसे पता चला कि कभी किसी समय पर सरयू नदी का किनारा इसी स्थान पर था. काल क्रम में यदि सरयू की धारा दूर चली गई  तो यह भी संभव है कि दो तीन हजार साल बाद वह मंदिर के पास वापस भी आ सकती है. कभी बाढ़ भी आ सकती है. कभी भूकंप आ गया तो उसका परिणाम क्या होगा. इस मंदिर के पत्थरों की संरचना पर क्या पड़ेगा. इसकी स्टेबिलिटी कैसे मेंटेन हो. 


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मंदिर के बेस में सिर्फ नदी की भुरभुरी बालू
नींव को बनाने में एक अन्य महत्वपूर्ण समस्या यह सामने आई कि यहां की जमीन में कहीं मिट्टी नहीं है. मंदिर के नीचे सिर्फ सरयू नदी की भुरभुरी बालू है. जब इस पर वजन पड़ेगा तो बालू दाएं-बाएं दौड़ेगी. नीचे बैठेगी, तो कितना नीचे बैठेगी. इंजीनियरिंग भाषा में कहें तो सेटलमेंट कितना होगा. इन्हीं महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार करने में छह महीने निकल गए. जिन लोगों ने इन विषयों पर गौर किया वे कोई सामान्य समझ वाले लोग नहीं हैं. आईआईटी दिल्ली के रिटायर्ड डायरेक्टर, आईआईटी दिल्ली के रिटायर्ड प्रोफेसर, आईआईटी गुवाहाटी के वर्तमान डायरेक्टर, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी मुंबई, आईआईटी कानपुर  के प्रोफ़ेसर, रुड़की भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के डायरेक्टर, एनआईटी सूरत के डायरेक्टर गांधी जैसे लोग थे.
बाद में इस कार्य में हैदराबाद का एक अनुसंधान संस्थान भूगर्भ अनुसंधान संस्थान भी जुड़ा. लार्सन टूब्रो-टाटा जैसी संस्थाओं के इंजीनियर और विशेषज्ञों के सामूहिक प्रयास और चिंतन के परिणामस्वरूप इस मंदिर का प्लेटफार्म तैयार हो पा रहा है. जब इसके नीचे कहीं मिट्टी ही नहीं मिली, तो विशेषज्ञों का सबसे पहला सजेशन था कि इस पूरी बालू को हटाओ. अब इसे हटाने का निष्कर्ष निकालने में छह महीने लग गए और उसका क्रियान्वयन करने में तीन महीने लग गए. 


समुद्रनुमा खाली जगह को भरने में ही छह महीने लगें
इसी प्रक्रिया के दौरान यह पता चला कि जमीन के नीचे मलबा भी है. जब उस मलबे को हटाया गया तो फिर एक समुद्र जैसा दृश्य तैयार हुआ. उस समुद्रनुमा खाली जगह को भरने में ही छह महीने लगें. यह तो मंदिर के विशाल स्ट्रक्चर की फाउंडेशन बनने की कहानी है. ऊपर का सुपर स्ट्रक्चर जिन कंधे पर बैठेगा, उन कंधों को मजबूती प्रदान करने का निर्णय करने में 18 महीने निकल गए. इसके बावजूद भी हम कार्य की गति से संतुष्ट हैं. अभी हमारा अनुमान है कि इस गति से कार्य चलता रहा तो आने वाले दो वर्षों में भगवान अपने मूल स्थान पर विराजित हो जाएंगे. हमने इस भव्य मंदिर को बनाने के लिए जो क्रम तैयार किया है, उस क्रम में कोई ज्यादा बाधाएं नहीं हैं.
 
सीमेंट-लोहा का प्रयोग लगभग शून्य 
चंपत राय ने आगे बताया कि भगवान राम का पूरा मंदिर पत्थरों से बनाया जाएगा. इसमें सीमेंट, लोहा आदि पदार्थों का प्रयोग लगभग शून्य होगा. ईटों का प्रयोग कुछ जगहों को छोड़कर बहुत ही कम किया जाएगा. इस सुपरहिट स्ट्रक्चर के बारे में मैं यदि बार-बार कहता हूं कि हम उसे एक हजार साल का ध्यान में रखकर बना रहे हैं तो इसका कारण भी उसके पत्थरों से निर्मित होना ही है.  पत्थर के बारे में सामान्यत: माना जाता है कि एक हजार साल तक उसका क्षरण नहीं होगा. इस पत्थर पर वर्षा के थपेड़े आएंगे. वायु के झोंके लगेंगे. सूरज की किरणें पड़ेंगी. इन तीनों के परिणामों को पत्थर एक हजार साल तक झेल पाएगा. हजार साल तक पत्थर के बारीक कण निकलते नहीं है.


इंजीनियर्स ने एक विशेष मिक्सचर तैयार किया
ऐसे सुपर स्ट्रक्चर जिसकी मजबूती हम एक हजार साल तक मान के चल रहे हैं, उसकी फाउंडेशन में अगर हमने लोहा और कांक्रीट डाल दिया तो उसकी आयु 100-150 साल ही रह जाएगी. जमीन के अंदर जब कांक्रीट सीमेंट डाला जाता है तो सीमेंट में हीट पैदा होती है. जैसे ही कांक्रीट शक्ति ग्रहण करेगा, साथ-साथ हीट डेवलप हो जाएगी. उसको बाहर निकलने का रास्ता आराम से नहीं मिला तो वह स्ट्रक्चर को फाड़ देगा. इसीलिए इसमें काम कर रहे इंजीनियर्स ने एक विशेष प्रकार का मिक्सचर तैयार किया. इसमें पत्थर की गिट्टी हैं, पर ज्यादा मोटी नहीं हैं. इस मिश्रण के अंदर बालू भी नहीं है, बल्कि पत्थरों का पाउडर (स्टोन डस्ट) है. सीमेंट की मात्रा इसमें बहुत कम है. अगर परसेंटेज के हिसाब से बोलें तो उसमें 2.5% सीमेंट है. इन सब को मिक्स करने  पानी भी उतना ही डाला गया जितने में लुगदी तैयार हो जाए. आटा गूंथते वक्त आटे में जितना पानी डाला जाता कि आटे में वह पानी बहता नहीं है बल्कि आटा उसे सोख लेता है, इतना ही पानी इसमें डाला गया. इसको कांपेक्ट बनाए रखने के लिए कुछ रसायन और फ्लाय ऐश भी इसमें मिलाया गया है.


रामकाज के लिए भूमि तो क्या जान भी न्योछावर
चंपत राय के साथ इस पैनल में राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र, अयोध्या सदर के विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और सुप्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल भी शामिल थीं. अयोध्या के विकास पर बोलते हुए अनुराधा पौडवाल ने कहा कि जिन लोगों की मंदिर के आसपास  जमीन हैं और वे मंदिर के काम के लिए जमीन देने से इंकार कर रहे हैं, उनको सोचना चाहिए कि राम भगवान के ऐसे पवित्र काज के लिए भूमि तो क्या अपनी जान भी न्योछावर हो जाए तो दे देना चाहिए.  सही मायने में अयोध्या का विकास तभी होगा जब मंदिर के आसपास रह रहे लोग यह बोलें कि हमारा सब कुछ ले लो, लेकिन राम मंदिर यहीं बनना चाहिए.


योगी आदित्यनाथ ने ही किया अयोध्या का विकास
अयोध्या सदर के विधायक वेदप्रकाश गुप्ता ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने से पहले अयोध्या का बनना जरूरी था. इसके लिए किसी बड़े प्रयास की जरूरत थी और बड़ा प्रयास उत्तर प्रदेश की जनता ने कर दिखाया जब 2017 में प्रचंड बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी को उन्होंने विजयी बनाया. जब योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब से अयोध्या के विकास की गाथा शुरू होती है. पिछले 20-25 वर्षों में तो अयोध्या में कुछ हुआ ही नहीं था. जो लोग आज यहां आ रहे हैं. चंदन तिलक लगा रहे हैं, पहले अयोध्या उनके एजेंडे में कहीं नहीं थी. अयोध्या का नाम लेने में भी उनको घबराहट होती थी, तकलीफ होती थी, कि इसका नाम लेंगे तो कहीं कोई नाराज ना हो जाए. अयोध्या में विकास का श्रेय प्रदेश की भाजपा सरकार को देना चाहिए. उनके आने के बाद ही यहां पर दीपोत्सव जैसा भव्य कार्यक्रम शुरू हुआ, जिसने पूरी दुनिया में कीर्तिमान बनाया है.


पौडवाल मां-बेटी ने दी भजनों की प्रस्तुति
राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र ने इस अवसर पर कहा कि ट्रस्ट ने ही योग्य लोगों को मंदिर निर्माण की प्रक्रिया से जोड़ा. जितने बड़े-बड़े लोग व संस्थान राम मंदिर निर्माण की आधारशिला से लेकर शिखर तक के विभिन्न पहलुओं का चिंतन कर रहे हैं, उन्हें सभी ने ट्रस्ट ने ही इस पावन कार्य से जोड़ा है. हमारी व ट्रस्ट की शुरू से ही यह कोशिश रही कि अच्छे से अच्छे लोग इस प्रक्रिया से जुड़कर राम मंदिर का निर्माण करें और भक्तों को आने वाले कई हजार साल तक यह मंदिर दर्शन लाभ देने में सफल हो सके. कार्यक्रम को शुरू करते हुए अनुराधा पौडवाल ने अपनी बेटी कविता पौडवाल के साथ मधुर राम भजनों की प्रस्तुति दी. उन्होंने प्रसिद्ध राम भजन 'पायो जी राम रतन धन पायो' को गाकर सुनाया. इसके अलावा रामायण की रामचरितमानस की सुंदर चौपाइयों की प्रस्तुति भी उन्होंने दी.


सांसद लल्लू सिंह ने गिनाए विकास कार्य  
इसके बाद के एक अन्य सत्र में सांसद लल्लू सिंह, यहां के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, हनुमानगढ़ी के महंत राजूदास, राम बल्लभाकुंज मंदिर के महंत राजकुमार दास के पैनल ने अयोध्या के विकास पर चर्चा की. सांसद लल्लू सिंह ने कहा मुझे पांच बार विधायक रहने का सौभाग्य मिला,  जितना संभव हुआ विकास के कार्य किए. हमने सोचा कि मंदिर बनेगा तो लाखों लोग दिन-प्रतिदिन आएंगे तो उसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारी पहले से होनी चाहिए. अयोध्या में दूसरी जनपदों से जो सड़कें आती है वह सुंदर बनें.  2015 में अयोध्या सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, प्रयाग की सड़क का फर्स्ट फेज अयोध्या से सुल्तानपुर,  सेकंड फेज सुल्तानपुर से प्रतापगढ़, थर्ड फेज प्रतापगढ़ से प्रयाग फोरलेन की सड़कें बन रही हैं. ये 1500 करोड़ के आसपास की योजना है. प्रभु श्रीराम से संबंधित जो भी स्थान अयोध्या से जाते हैं. उन सारी सड़कों को फोरलेन या टूलेन के रूप में भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय ने मोदी जी के मार्गदर्शन में स्वीकृति दी है. लगभग सब पर काम चल रहे हैं दो-तीन साल में काम पूरा हो जाएगा और जब रोज अयोध्या में लाखों लोग अयोध्या आएंगे तो यहां इस पर दबाव न पड़े इसलिए रिंग रोड स्वीकृत की गई है. जिसका डीपीआर लगभग साढ़े 7000 करोड़ रुपए है उस पर भी काम शुरू होने वाला है सारी तैयारियां हो गई है.


महंत राजकुमार दास ने अयोध्या के विकास कार्य को भगवान राम की कृपा बताया. उन्होंने कहा कि पहले यहां की नालियां साफ नहीं रहती थीं.रात को जब सोने का समय रहता था, तब बिजली गायब रहती थी. अब भाजपा सरकार के कार्यकाल में सारी व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त हैं. महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा- जब से राम जन्म भूमि का भूमि पूजन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों हुआ तब से ही उन्होंने अपना विजन क्लियर किया है कि यहां तीन तरह से अयोध्या का विकास होगा. आध्यात्मिक अयोध्या, सांस्कृतिक अयोध्या और आधुनिक अयोध्या. सरकार इन तीनों ही चीजों को ध्यान में रखकर अयोध्या में विकास कार्यों को गति दे रही है. यहां अयोध्या का विकास हो रहा है पर साथ में उसकी सांस्कृतिक विशेषता को ध्यान रखा जा रहा है
 हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने इस सत्र में बोलते हुए कहा कि पहले अयोध्या के नाम पर हिंदुत्व के नाम पर लोगों को विपक्षी पार्टियों द्वारा बांटने का काम किया जाता था पर अब हिंदू एक साथ एकमत होकर सामने आया और एक चाय बेचने वाले को प्रधानमंत्री बनाया तथा एक मठ के महंत को मुख्यमंत्री बनाया है.


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