UP में लव-जिहाद पर पहली सजा: कानपुर में युवक को 10 साल की कैद और जुर्माना, धर्म छिपाकर हिंदू लड़की से बनाया था संबंध
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UP में लव-जिहाद पर पहली सजा: कानपुर में युवक को 10 साल की कैद और जुर्माना, धर्म छिपाकर हिंदू लड़की से बनाया था संबंध

DGC क्राइम का दावा है कि लव जिहाद के मामले में सजा का यह पहला मामला है. 

सांकेतिक तस्वीर.

कानपुर: यूपी के कानपुर में लव जिहाद के एक मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपी को 10 साल की सजा और 30 हजार का जुर्माना लगाया है. जुर्माने की राशि में से 20 हजार पीड़िता को बतौर क्षतिपूर्ति राशि के तौर पर दिए जाएंगे. DGC क्राइम का दावा है कि लव जिहाद के मामले में सजा का यह पहला मामला है. 

क्या है पूरा मामला?
DGC (जिला शासकीय अधिवक्ता) क्राइम दिलीप कुमार अवस्थी ने बताया कि मामला बीते 15 मई 2017 का है. जूही थाना क्षेत्र के कच्ची बस्ती में रहने वाले किशोरी की जावेद नाम के मुस्लिम युवक से मुलाकात हुई. जावेद ने खुद को हिंदू बताते हुए युवती को अपना नाम मुन्ना बताया था. युवक से मुलाकात होने के कुछ दिन बाद दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. धीरे-धीरे दोनों में प्रेम हो गया. आरोपी किशोरी को शादी का झांसा देकर अपने साथ भगा ले गया. उसके साथ जबरदस्ती संबंध बनाये. 

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पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुआ मुकदमा
वहीं, बेटी के लापता होने पर पीड़ित परिवार ने जूही थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई. जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया. इसके साथ ही कार्रवाई करते हुए अगले ही दिन आरोपी को गिरफ्तार कर किशोरी को बरामद कर लिया. इस मामले में पीड़िता की मां की तहरीर पर पाक्सो एक्ट समेत दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया गया था. 

पीड़िता ने लगाए थे आरोप 
मामले में 164 के बयान में पीड़िता ने बताया कि आरोपी जावेद ने उसे खुद को हिंदू नाम बताकर दोस्ती की थी. इसके बाद शादी का झांसा देकर साथ ले गया. जब पीड़िता उसके घर पहुंची तो आरोपी ने उसे अपना असली धर्म बताकर निकाह करने के लिए कहा. जिस पर उसने इनकार कर दिया. पीड़िता ने आरोप लगाया कि जावेद उर्फ मुन्ना ने उसके साथ दुष्कर्म किया. इस मामले में सुनवाई करते हुए अपर जिला जज ने आरोपी के खिलाफ फैसला सुनाया है. 

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बरेली में दर्ज हुआ था पहला केस
गौरतलब है कि यूपी के बरेली में लव जिहाद का पहला मामला दर्ज किया गया था. यह मामला कानून बनने के महज 4 दिन बाद ही दर्ज किया गया था. जानकारी के मुताबिक, यूपी में जुलाई, 2021 तक कुल 162 केस दर्ज हो चुके हैं, लेकिन कानपुर के जिला जज ने पहली बार सजा सुनाई है. 

कब बना था कानून? 
गौरतलब है कि यूपी में 24 फरवरी, 2021 को अवैध धर्मांतरण कानून ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021’ लागू हुआ था. इसके तहत जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन के लिए 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ 1 से 5 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. अगर SC-ST समुदाय की नाबालिगों और महिलाओं के साथ ऐसा होता है तो 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3-10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. यूपी के अलावा मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात में भी यह कानून लागू है. 

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