भारत के इस गांव में होती है 'भूत पूजा', बिना सिर और गर्दन वाली मूर्ति पूरी करती है हर मनोकामना, जानें वर्षों पुरानी परंपरा
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भारत के इस गांव में होती है 'भूत पूजा', बिना सिर और गर्दन वाली मूर्ति पूरी करती है हर मनोकामना, जानें वर्षों पुरानी परंपरा

UP News: भारत में एक ऐसा गांव है जहां वर्षों से भूत पूजा की जाती है. इस दौरान गांव में मेला भी लगाया जाता है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. आइए बताते हैं कहां होती है यह अनोखी पूजा.

भारत के इस गांव में होती है 'भूत पूजा', बिना सिर और गर्दन वाली मूर्ति पूरी करती है हर मनोकामना, जानें वर्षों पुरानी परंपरा

Bhoot Puja: हिंदू धर्म में भगवान शिव के कई रूप प्रचलित हैं, जिनमें उनकी पूजा की जाती है, लेकिन क्या आप 'भूत पूजा' के बारे में जानते हैं. पश्चिम बंगाल में एक ऐसा गांव है, जहां 'भूत पूजा' की जाती है. इतना ही नहीं इस मौके पर ग्रमीणों द्वारा भव्य मेला भी लगाया जाता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. कई वर्षों से लोग इसे त्योहार की तरह मनाते हैं. आसपास के इलाकों में भी यह पूजा काफी मशहूर है.

फुलिया तालतला गांव में लगता है मेला
यह अनोखी पूजा शांतिपुर थाना क्षेत्र के नादिया के फुलिया तालतला गांव में होती है. सुबह से ही मेले में लोगों का आना-जाना शुरू हो जाता है. दूर-दूर से लोग यह 'भूत पूजा' देखने आते हैं. भगवान शिव के मंत्रोच्चार से इस पूजा की शुरुआत होती है और फिर परिक्रमा लगाई जाती है, जिसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. लोगों के ही सहयोग से भंडारे का आयोजन किया जाता है. अपनी इच्छानुसार लोग दाल, चावल और अन्य अनाज दान करते हैं, जिससे 'भुक्त' बनाया जाता है और दिन के अंत में इससे खाना पकाया जाता है.

हालांकि, यह पूजा क्यों की जाती है इसका किसी के पास सीधा जवाब नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इससे बुरे ख्यालों को त्यागने में मदद मिलती है. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से यह पूजा करने से लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है. इस पूजा को महादेव की पूजा जैसा माना जाता है. 

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विधि विधान से की जाती है मूर्ति स्थापना
लोगों का कहना है कि यह पूजा बांग्लादेश में बहुत प्रचलित थी. जब देश का बंटवारा हुआ तो बांग्लादेश से कुछ लोग यहां आकर बस गए. यही लोग यहां भी यह पूजा करते थे. माना जाता है तभी से भारत में इस पूजा की शुरुआत हुई. पूजा के लिए एक मूर्ति बनाई जाती है, जिसका सिर और गर्दन नहीं होती. आंख, नाक और मुंह को शरीर के निचले हिस्से में बनाया जाता है. इसके बाद विधि विधान से पूजा-अर्चना कर मूर्ति की स्थापना की जाती है.  

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