मथुरा में गोवर्धन पूजा की धूम: घर-घर बनाया गया अन्नकूट, बृज के मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
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मथुरा में गोवर्धन पूजा की धूम: घर-घर बनाया गया अन्नकूट, बृज के मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

Goverdhan 2021: पांच दिवसीय पर्व दीवाली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है. मथुरा के गोवर्धन से लेकर वृंदावन तक हर जगह हर मन्दिर में गोवर्धन की पूजा की जा रही है. 

मथुरा में गोवर्धन पूजा की धूम

कन्हैया लाल शर्मा/मथुरा: दीपावली (Deepawali) के अगले दिन गोवेर्धन (Govadhan) की पूजा की जाती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपाद तिथि यानी कि दीपावली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस साल ये त्योहार 5 नवंबर 2021 यानी शुक्रवार को मनाया जा रहा है. इस दिन गोबर का गोबर्धन बनाया जाता है और इसका खास महत्व होता है.

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गोवर्धन पूजा के मौके पर ब्रज में जगह-जगह भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई. गोवर्धन महाराज अन्न, धन के देवता माने जाते हैं. गोवर्धन पूजा के दिन ब्रिज के सभी मंदिरों में विशेष तौर पर पूजा की जाती है. गोवर्धन में दूध चढ़ाकर पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है. इसी कारण विशेष तौर पर गोवर्धन में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है.

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गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन में विशेष तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही. श्रद्धालुओं द्वारा गिर्राज महाराज की 7 कोसी परिक्रमा कर मनौती मांगी गई तो वहीं गोवर्धन महाराज को दूध चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ देखने को मिली.

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पांच दिवसीय पर्व दीवाली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है.इस दिन घर-घर में गोवर्धन का पूजन किया जाता है और उनको विभिन्न व्यंजन अर्पित किए जाते हैं. शुक्रवार को ब्रज भूमि के साथ-साथ देश भर में गोवर्धन पूजा की धूम है. मथुरा के गोवर्धन से लेकर वृंदावन तक हर जगह हर मन्दिर में गोवर्धन की पूजा की जा रही है. 

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इसलिए होती है गोवर्धन पूजा
द्वापर युग में ब्रजवासी जब भगवान कृष्ण की बात मान कर गोवर्धन की पूजा करने को तैयार हो गए, तो इंद्र ने इसे अपना अपमान मानते हुए ब्रज में जमकर बरसात शुरू कर दी. घनघोर बारिश से ब्रजवासी त्राहि-त्राहि करने लगे. तब भगवान कृष्ण ने इंद्र का मान भंग करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कन्नी उंगली पर उठाकर सभी ब्रजवासियों को उसके नीचे खड़ा कर लिया. इंद्र देव 7 दिन तक घनघोर बारिश करते रहे, लेकिन जब वह ब्रज और ब्रजवासियों का कुछ नहीं बिगाड़ सके तो उनको अहसास हुआ कि वह साक्षात नारायण को अपना बल दिखाने की कोशिश कर रहे थे. इसके बाद इंद्र ने भगवान कृष्ण से क्षमा मांगी. इंद्र के मान भंग होने से खुश हुए ब्रजवासियों ने तब भगवान कृष्ण और गोवर्धन की पूजा की और उत्सव मनाया. तब से आज तक घर-घर में भगवान गोवर्धन की पूजा की जाती है.

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गोवर्धन में गौड़ीय संप्रदाय के लोगों धूमधाम से गोवर्धन पूजा की. गिर्राज जी को अन्नकूट का भोग लगाया गया. ढोल मजीरा और राधा कृष्ण के संगीत के साथ सिर पर अन्नकूट का प्रसाद लेकर गौड़ीय संप्रदाय के हजारों की संख्या में लोग पहुंचे गिरिराज तलहटी पहुंचे. देश विदेश से आए हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस पूजा में शामिल हुए. गोवर्धन गौडीय मठ से श्रद्धालु गिर्राज तलहटी तक राधा कृष्ण के संगीत के साथ सिर पर अन्नकूट का प्रसाद रखकर गिरिराज तलहटी तक पहुंचे, जहां भगवान गिर्राज महाराज को अन्नकूट का भोग लगाया, और विधि विधान से पूजा अर्चना की.

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अन्नकूट का लगाया जाता है भोग
गोवर्धन की पूजा के दिन जहां सुबह उनका अभिषेक किया जाता है तो घरों में विभिन्न व्यंजन बनाकर उनका भोग लगाया जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन प्रमुख तौर पर कड़ी  चावल और बाजरा बनाया जाता है जिसे अन्नकूट कहा जाता है. ब्रज के गोवर्धन में तो यह मुख्य आयोजन होता ही है इसके अलावा हर मन्दिर और घरों में भी अन्नकूट बनाया जाता है और इसे प्रसाद के तौर भी बांटा जाता है.

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