शस्त्र लाइसेंस दिलाने का मामला: मुख्तार अंसारी के डिस्चार्ज अर्जी को निचली अदालत को दो माह में तय करने का निर्देश
माफिया मुख्तार अंसारी की तरफ से अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने पक्ष रखा. मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय का कहना है कि याची सदर मऊ से 1996 से मार्च 2022 तक विधायक रहा है.
मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को माफिया मुख्तार अंसारी पर अपराधियों को शस्त्र लाइसेंस की सिफारिश मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने एक माह में डिस्चार्ज अर्जी देने तथा कोर्ट को उसे दो माह में नियमानुसार तय करने का निर्देश दिया है. इस केस में मुख्तार अंसारी की जमानत पहले ही मंजूर हो चुकी है. जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की एकलपीठ ने मुख्तार अंसारी की याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है.
माफिया मुख्तार अंसारी की तरफ से अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने पक्ष रखा. मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय का कहना है कि याची सदर मऊ से 1996 से मार्च 2022 तक विधायक रहा है. वर्ष 2001 मे याची ने सह अभियुक्तों को शस्त्र लाइसेंस दिलाने की संस्तुति की. उन्हें लाइसेंस दिया गया. उनके द्वारा अपराध में लिप्त होने पर मऊ के दक्षिण टोला एसएचओ ने एफआईआर दर्ज कराई.
मामले में तत्कालीन एसएचओ व लेखपाल सहित चार लोगों को आरोपित किया गया. इन्होंने अपने बयान में याची के भी लिप्त होने का खुलासा किया है. पुलिस ने याची व कैलाश सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. याची अधिवक्ता का कहना था कि शस्त्र लाइसेंस जिलाधिकारी द्वारा दिया जाता है. यह सत्यापन के बाद दिया जाता है. इसमें याची की कोई भूमिका नहीं है. याचिका में चार्जशीट पुनरीक्षण अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसे कोर्ट ने दो माह में तय करने का निर्देश दिया है.
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