सोशल मीडिया पोस्ट पर नजर रखेंगे डिजिटल वॉलिंटियर, अफवाह फैलाने वालों पर होगी कार्रवाई
हाल के दिनों में धार्मिक भावना को आहत करने वाले पोस्ट इंटरनेट मीडिया पर वायरल किए जाने की वजह से तनाव के हालात बन गए थे. सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की योजना बनाई गई है, लेकिन इससे पहले फर्जी आईडी से पोस्ट वायरल करने वालों को चिन्हित करने की चुनौती है. इसके लिए अब पुलिस डिजिटल वॉलेंटियर को एक्टिव करने की योजना बना रही है.
जितेन्द्र सोनी/जालौन: डिजिटल दौर में कुछ लोग भड़काऊ बयानबाजी के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिसको लेकर पुलिस सतर्क है, और जिले के 19 थाने में सोशल मीडिया पर नज़र बनाए रखने के लिए 4750 डिजिटल वॉलिंटियर तैयार किए गए हैं. ताकि डिजिटल वॉलिंटियर की मदद से अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर सके.
सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए वायरल हुई थीं पोस्ट
बता दें कि हाल के दिनों में धार्मिक भावना को आहत करने वाले पोस्ट इंटरनेट मीडिया पर वायरल किए जाने की वजह से तनाव के हालात बन गए थे. सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की योजना बनाई गई है, लेकिन इससे पहले फर्जी आईडी से पोस्ट वायरल करने वालों को चिन्हित करने की चुनौती है. इसके लिए अब पुलिस डिजिटल वॉलेंटियर को एक्टिव करने की योजना बना रही है.
विवादित पोस्ट की पुलिस को तुरंत मिलेगी सूचना
डिजिटल वॉलेंटियर के एक्टिव होने का फायदा यह रहेगा कि कोई भी विवादित पोस्ट इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किया जाता है तो पुलिस अधिकारियों को तत्काल सूचना मिल सकेगी. जिससे पोस्ट वायरल करने वालों को गिरफ्तार किया जा सकता है. इंटरनेट मीडिया पर अफवाह वाली सूचनाएं फैलाई जाती हैं. अफवाहों की वजह से हिंसा भड़कने की गुंजाइश रहती है. इंटरनेट मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए महिला थाने सहित डिजिटल वॉलिंटियर ग्रुप बनाए गए हैं. इसका असर यह होगा कि ग्रामीण स्तर पर वायरल ख़बर की सूचना पुलिस को तुरंत मिल जाएगी.
सोशल मीडिया पर हो रही गतिविधियों पर रखी जा रही नजर
वहीं, पुलिस अधीक्षक रवि कुमार ने बताया कि इंटरनेट मीडिया के दौर में लोग स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करते हैं. जिले में सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए हर थाने में 250 डिजिटल वॉलिंटियर ग्रुप बनाए गए हैं. ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके और अगर कोई ग्रामीण इलाकों में भी अफ़वाह फैलाने का काम करेगा तो डिजिटल वॉलिंटियर ग्रुप की सहायता से उसे पहचाना जा सकता है और पुष्टि होने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
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