उत्तर प्रदेश में मदरसों के सर्वे को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. दिल्ली में हुई संगठन की बैठक के बाद कहा गया है कि हम सरकार से बात करने के लिए तैयार हैं. इस मामले में जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए.
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अब्दुल जब्बार/लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सर्वे के फैसले के विरोध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक दिल्ली में हुई.मौलाना महमूद मदनी द्वारा बुलाई इस बैठक में तय किया गया कि एक स्टीयरिंग कमेटी बनेगी जो इस तरह के मामलों की मॉनिटरिंग करेगी. कमेटी में 12 सदस्य होंगे. मौलाना मदनी ने कहा कि हम सरकार से बात करने के लिए तैयार हैं. इस मामले में जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज हम अपनी तरफ कन्सर्न अथॉरिटी को अपनी दरख्वास्त भेज देंगे. जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि इस फैसले का विरोध करेंगे. लेकिन सरकार से गुजारिश है कि वह हमसे बात करे. साथ ही आशंका जताई कि मदरसों में असम जैसी कार्रवाई न की जाए.
मदरसों की भूमिका का जिक्र हुआ
मौलाना महमूद मदि ने कहा कि काम चाहे जितना सही हो अगर उसे गलत तरीके से किया जाए तो ये मुनासिब नहीं है. उन्होंने कहा कि हम तालीम से महरूम रहने वाले बच्चों का हाथ पकड़ते हैं और शिक्षित करते हैं. समुदायों में भाईचारा के लिए मदरसों ने जो उदाहरण पेश किया है. ऐसा उदाहरण देखने को नहीं मिलता. मौलाना मोहम्मद मदनी ने कहा कि मदरसों को गलत निगाह से देखा जा रहा है. मदरसे का काम दूरी को खत्म करने का है. हम अपनी भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम देश चलाने वालों से अपील करते हैं कि मदरसों को लेकर गलतफहमी ना पालें.
24 सितंबर को मदरसों का सम्मेलन
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाल ही में मदरसों का सर्वे कराने के निर्देश दिए थे.वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी के मुताबिक मदरसे की दीनी तालीम मुसलमानों का अंदरूनी मसला है. उधर इस मुद्दे पर दारुल उलूम के मोहतमिम ने चिंता जताई है. संगठन की ओर से 24 सितंबर को प्रदेश भर के मदरसा संचालकों का सम्मेलन बुलाया गया है. सम्मेलन में सरकार के निर्णय पर विचार के बाद अगली रणनीति तय होगी.