कुशीनगर: गरीबों को मोहरा बनाकर रसूखदारों ने बेच दिया करोड़ों का अनाज, खेला गया बड़ा खेल
जिन कार्डधारकों का नाम एनआईसी लखनऊ ने भेजा है और जिनको पूर्ति विभाग ने कार्ड निरस्त करने की नोटिस दिया है वह सभी गरीब तबके से आते हैं. किसी के पास 8 कट्ठा खेत है तो कोई रेहन-बटाई का खेत जोतकर अपने कुनबे का पेट भरता है. इनमें किसी- किसी के खेत में पूरे वर्ष खाने भर के लिए अनाज पैदा होता है. अधिकतर लोगों को सरकारी राशन के भरोसे या बाजार से अनाज खरीदने पर रोटी मिलती है.
पवन कुमार मिश्र/कुशीनगर: यूपी के जिले कुशीनगर में धान व गेंहू की खरीद में भारी गोलमाल हुआ है. सरकारी क्रय केंद्रों पर करोड़ों रुपये का धान-गेहूं ऐसे गरीबों के नाम पर बेचा गया है जो बाजार से खुद अनाज खरीद कर खाते हैं या फिर इनके खेतों में बमुश्किल खाने भर के लिए अनाज पैदा होता है.
900 से ज्यादा अन्त्योदय और पात्र गृहस्थी कार्डधारक चिह्नित
शासन ने भी कुशीनगर जनपद के ऐसे 900 से ज्यादा अन्त्योदय और पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को चिह्नित किया है जो खरीद वर्ष 2020-21 में 3 लाख या उससे ज्यादा रुपये का धान-गेहूं सरकारी क्रय केंद्रों पर बेचा है. यदि जांच के दायरे में एक लाख से ऊपर गेहूं-धान बेचने वाले कार्डधारकों को भी शामिल कर लिया जाय तो गरीबों को मोहरा बनाकर बड़े मिलरों व रसूखदारों द्वारा खरीद वर्ष 2020-21 में खेले गये खेल की रकम एक अरब को छूने लगेगी.
एनआईसी लखनऊ द्वारा पकड़ा गया घालमेल
बता दें एनआईसी लखनऊ ने बायोमैट्रिक जांच के दौरान पाया कुशीनगर जनपद के 900 से ज्यादा अन्त्योदय व पात्र गृहस्थी कार्डधारक ऐसे हैं जो खरीद वर्ष 2020-21 में तीन लाख से लेकर 6.5 लाख रुपये से ज्यादा का धान- गेहूं न्यूनतम समर्थन योजना के तहत सरकारी क्रय केंद्रों पर बेचे हैं. यही नहीं यह कार्डधारक वर्ष भर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कोटे की दुकानों से राशन भी उठाते रहे हैं. एनआईसी लखनऊ द्वारा यह घालमेल पकड़े जाने के बाद 17 अगस्त को आयुक्त खाद्य एवं रसद, जवाहर भवन लखनऊ ने जिला पूर्ति अधिकारी कुशीनगर को पत्र भेज दिया.
पूर्ति विभाग ने कार्ड निरस्त करने का नोटिस भेजा
कारण यह जिन कार्डधारकों का नाम एनआईसी लखनऊ ने भेजा है और जिनको पूर्ति विभाग ने कार्ड निरस्त करने की नोटिस दिया है वह सभी गरीब तबके से आते हैं. किसी के पास 8 कट्ठा खेत है तो कोई रेहन-बटाई का खेत जोतकर अपने कुनबे का पेट भरता है. इनमें किसी- किसी के खेत में पूरे वर्ष खाने भर के लिए अनाज पैदा होता है. अधिकतर लोगों को सरकारी राशन के भरोसे या बाजार से अनाज खरीदने पर रोटी मिलती है.
इन लोगों के नाम पर बेचा गया अनाज
दुदही ब्लॉक के जंगल लुअठहा गांव के निवासी मुर्तुजा हुसेन के पास महज 8 कट्ठा खेत है और उनके नाम से वर्ष 2020-21 में 510337.60 रुपये का अनाज बेचा गया. इसी गांव के त्रिभुवन बताते हैं कि उनके पास एक बीघा जमीन है और इनके नाम से 451308 रुपये का अनाज बेचा गया. त्रिभुवन का कहना है" जब हम बेचले नईखी त का बतायी, उहे बतहिए" परंतु "उहे " कौन है यह बताने में त्रिभुवन सहम जाते हैं.
बंधु के नाम से 501371.20 लाख का अनाज बेचा गया है जबकि बंधु खुद बताते हैं कि " दो बीघा रेहन और दो बीघा बटाई लेकर काम चलाते हैं" अमीर के नाम से 464011.20 रुपये का अनाज बेचा गया है. अमीर के मुताबिक, उनके पास ढाई बीघा खेती है किसी तरह से भोजन भर के लिए धान- गेहूं पैदा हो जाता है. अनाज बेचने के सवाल पर वह कुछ बात छिपाने की कोशिश करते हैं लेकिन उनका लड़का वाहिद उनकी बात को काट देता है और साफ- साफ बताता है कि" खाने भर के लिए अनाज नहीं होता है तो बेचेगे कहां से" जंगल लुअठहा की जैनुल नेशा के नाम से 674721.60 रुपये का अनाज बेचा गया जबकि जिले में शायद ही कोई ऐसा काश्तकार होगा जो इतने रुपये का धान अथवा गेहूं पैदा करता होगा.
एनआईसी की सूची में करीब एक दर्जन लोगों का नाम
कुल मिलाकर इस गांव के करीब एक दर्जन लोगों का नाम एनआईसी की सूची में है जिनके नाम से 4 से 6.74 लाख रुपये से ज्यादा का अनाज बेचा गया और यह सभी गरीबी रेखा के आसपास जीवन यापन कर रहे हैं. यही हाल जिले के अन्य विकास खंडों का है जहां गरीबों को मोहरा बनाकर बड़ा खेल खेला गया है.
नियम का उल्लंघन कर अनाज खरीदने व बेचने वालों के विरुद्ध कार्रवाई होगी-डिप्टी आरएमओ
बता दें कुशीनगर जनपद के ज्यादातर किसान गन्ना, केला व सब्जी की खेती करते हैं. धान- गेहूं की खेती जरूरत भर के लिए करते हैं. कुशीनगर जनपद के डिप्टी आरएमओ विनय प्रताप सिंह का कहना है कि ऐसा कतई सम्भव नहीं है कि जिसके पास खेत नहीं है वह लाखों रुपये का धान- गेहूं बेच सके. इसके लिए नियम बनाए गये हैं. जांच चल रही है, नियम का उल्लंघन करके अनाज खरीदने व बेचने वालों के विरुद्ध कार्रवाई होगी.
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