आपने कभी उत्तराखंड का ये फेमस खाना खाया है? मलेरिया, पेट के रोगों का पक्का इलाज है कंडाली का साग.. इसमें छुपा है आयरन का भंडार...कंडाली में आयरन, विटामिन-ए और फाइबर खूब पाया जाता है.चपाती और भात के साथ इस व्यंजन का लुत्फ उठाया जाता है.
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Famous food of uttarakhand: उत्तराखंड भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक है, जो अपनी पहाड़ी सुंदरता, कला, संस्कृति और खाने के लिए जाना जाता है. यहां के खाने को चखने वाला हर पर्यटक उंगलियां चाटने पर मजबूर हो जाता है. यहां के खाने में आपको कई वैरायटी देखने को मिल जाएंगी. जब भी उत्तराखंड के फेमस व्यंजनों की बात की जाती है तो उसमें कंडाली (Kandaali ka Saag) के साग का नाम सबसे पहले सामने आता है.
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ये हैं पहाड़ के फेमस व्यंजन
पहाड़ी लोगों ने अपनी जरुरत के अनुसार कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों को ईजाद किया है. इनमें दाल-भात के साथ ही काफली, फाणु, झ्वली (कढ़ी), चैंसु, रैलु, बाड़ी, पल्यो, कोदे (मंडुवा) व मुंगरी (मक्का) की रोटी, गहत की भरवा रोटी, गुलगुला, झंगोरे की खीर, स्वाला, तिल की चटनी, उड़द की पकोड़ी,आलू का थिंचोंणी, आलू का झोल, झंगोरे का भात, अरसा, बाल मिठाई, भांग की चटनी, डुबुक, गहत (कुलथ) का गथ्वाणि आदि प्रमुख हैं. सब्जियों में कंडाली की भी सब्जी बनाई गई.
आज हम आपको कंडाली यानी सिसूणं के बारे में बता रहे हैं. ये ना सिर्फ आपकी सेहत के लिए रामबाण इलाज है बल्कि स्वाद के मामले में बेहतरीन है. चलिए इस बेजोड़ औषधि के बारे में आपको कुछ खास बातें बताते हैं. पहाड़ के पुराने लोग इसके मेडिटेशनल फायदे जानते थे, तभी तो कंडाली का साग उनके खान-पान का अहम हिस्सा है. इसके औषधीय गुण जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे.
कंडाली, सिसूणं और बिच्छू खास
आम तौर पर लोग इसे बिच्छू घास के नाम से जानते हैं. उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में इसे कंडाली और कुमाऊं क्षेत्र में सिसूंण कहा जाता है. ये पौधा अर्टिकाकेई वनस्पति फैमिली का होता है. इसका वास्तविक नाम अर्टिका पर्वीफ्लोरा है.
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कई बीमारियों में रामबाण है कंडाली
अगर आपको शरीर में पित्त दोष की बीमारी है, तो इसका सेवन जरूर करें. पेट की गर्मी को दूर करने की इसमें जबरदस्त क्षमता होती है. इसके साथ ही ये पेट से बनने वाली बीमारियों को दूर कर देती है. आपके शरीर के किसी हिस्से में मोच आ गई है तो इसकी पत्तियों के इस्तेमाल से अर्क बनाकर प्रभाविक जगह पर लगा सकते हैं. इससे आपको जल्द आराम मिलेगा.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मलेरिया के इलाज के लिए बिच्छू खास बेहतरीन इलाज है. इसका साग बनाकर मलेरिया के मरीज को देना चाहिए. ये मलेरिया के मरीज के लिए एंटीबायोटिक और एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है. इसके अलावा अगर आपका पेट साफ नहीं हो रहा है, तो इसके बीजों का सेवन करें, इसके साथ ही अगर आपके शरीर में जकड़न महसूस हो रही है, तो इसका साग बनाकर खाएं. इसके साग स्वादिष्ट होता है और उत्तराखंड में लोग इसका सेवन भात के साथ करते हैं.
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भारत के अलावा यहां पाया जाता है इसका पौधा
ये पौधा भारत, चीन, यूरोप समेत कई देशों में पाया जाता है. बताया जा रहा ह कि ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की मार की वजह से इसका अस्तित्व भी खतरे में हैं.
कंडाली की पत्तियों से तैयार किया जाता है साग
उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. ठंड से बचाव का एक और आसान तरीका है, आप कंडाली से बना साग खाना शुरू कर दीजिए. कंडाली की पत्तियों पर छोटे-छोटे बालों जैसे कांटे होते हैं. इसलिए जब भी इसका साग बनाएं तो पहले पत्तियों को अच्छी तरह से उबाल लें. इससे इसकी पत्तियों में मौजूद कांटे अलग हो जाते हैं. कंडाली का साग राज्य के लोकप्रिय व्यंजनों में शुमार है. कंडाली की पत्तियों से इसे तैयार किया जाता है.
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पाए जाते हैं पोषक तत्व
कंडाली में आयरन, विटामिन-ए और फाइबर खूब पाया जाता है.चपाती और भात के साथ इस व्यंजन का लुत्फ उठाया जाता है. कंडाली के पत्तों में खूब आयरन होता है, जो कि खून की कमी को दूर करता है. इसके अलावा फोरमिक एसिड, एसटिल कोलाइट और विटामिन ए भी कंडाली में खूब मिलता है. इसका सेवन पीलिया, उदर रोग, खांसी-जुकाम में फायदा देता है. इसके अलवा किडनी संबंधी बीमारियों में भी कंडाली के सेवन की सलाह दी जाती है.
ऐसे बनाएं कंडाली का साग
भले ही कंडाली कांटेदार दिखती है, पर इसकी सब्जी खाते वक्त आपको इन कांटों का आभास कतई नहीं होगा. कंडाली की सब्जी या कफली बनाने के लिए कंडाली की मुलायम पत्तियां लें. इन्हें झाड़कर साफ कर लें. इसके बाद लोहे की कढ़ाई में कम पानी में अच्छी तरह ढककर पकाएं. उबली हुई पत्तियों का साग बनाएं.
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इसके लिए सरसों के तेल में जखिया का तड़का लगाएं. बाद में लहसुन की कलियां, हींग, हरी मिर्च और स्वादानुसार नमक डालें. इसके बाद कंडाली की उबली पत्तियां मिलाएं और इसे लगातार कलछी से हिलाते रहें. बस थोड़ी ही देर में कंडाली का साग बनकर तैयार हो जाएगा. ठंड के मौसम में कंडाली का का साग आपको गर्माहट देगा. अगर आपने एक बार पहाड़ी व्यंजन को चख लिया, तो दोबारा यहां आने पर इसकी मांग किए बगैर नहीं रह पाएंगे.
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