मयूर शुक्ला/लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डेंगू तेजी से पैर पसार रहा है. रोज बड़ी संख्या में मरीज अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं तो कई लोगों की मौत भी हो गई है. लेकिन शहर की प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटर इस आपदा को अवसर बनाने में नही चूक रहे. मरीजों की रिपोर्ट में प्लेटलेट्स काउंट इतना कम दिखा दिया जाता है कि वह परेशान होकर अस्पताल में मजबूरन भर्ती हो जाए. इसके बाद उनसे पैसा ऐंठने का खेल शुरू हो जाता है.


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डेंगू लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है. तीमारदार अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं तो वहीं शहर के प्रतिष्ठित डायग्नोस्टिक सेंटर तीमारदारों की मुसीबत की आग में घी डालने का काम कर रह हैं. जानकारी के मुताबिक यह मामला चरक डायग्नोस्टिक से सामने आया है. यहां पर संध्या तिवारी नाम की डेंगू पेशेंट की जांच कराई गई तो रिपोर्ट में प्लेटलेट 15000 आईं. इससे परिवार वाले परेशान हो गए. संध्या के भाई नवीन ने बताया कि रिपोर्ट देखकर उन्हें शक हुआ. इसके बाद दो अन्य डायग्नोस्टिक में ब्लड का सैंपल भेजा गया, जहां की रिपोर्ट ठीक आई. इसके बाद शक यकीन में बदल गया की डायग्नोस्टिक सेंटर रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा कर रहा है. 


डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का बयान
इस मामले को लेकर जब यूपी के स्वास्थ्य मंत्री डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस तरीके के मामले पिछले कई दिनों से लगातार सामने आ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अगर कोई भी प्राइवेट पैथोलॉजी इस तरीके की घपलेबाजी करके गलत रिपोर्ट देती है तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए. सब पर नजर रखी जा रही है.


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चीफ मेडिकल ऑफिसर ने दी जानकारी


लखनऊ के चीफ मेडिकल ऑफिसर मनोज अग्रवाल ने बताया कि शुक्रवार को यह मामला संज्ञान में आया था. इस तरीके के मामले पहले भी सामने आए हैं, लेकिन अभी तक हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई है. हम संबंधित मामलों में त्वरित कार्रवाई करेंगे. इसी के साथ उन्होंने कहा कि वह आम लोगों से यह आग्रह भी करते हैं की सरकारी पैथोलॉजी में ही जांच कराएं.


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