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रमेश मौर्या/भदोही: मंगलवार, 1 मार्च को महाशिवरात्रि है. इस पावन पर्व पर भक्त शिव मंदिरों और शिवालयों में दर्शन करने जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. भारत में 12 ज्योतिर्लिंग के अलावा भगवान शिव (Lord Shiva Temple) के ऐसे कई मंदिर हैं, जो उनकी लीलाओं का वर्णन करते है. मान्यता है कि भगवान शिव के कई रूप और नाम हैं. यह हमें अलग-अलग शिवालयों में देखने को भी मिलता है.
कई प्राचीन शिव मंदिर अनोखे और बेहद अदभुत हैं. इन शिव मंदिरों का अपना इतिहास है. उन्हीं में से एक यूपी के भदोही जिले (Bhadohi) का तिलेश्वरनाथ मंदिर (Tileshwarnath Temple) है. इसका अलग आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. इस मंदिर का अनोखा शिवलिंग मौसम के साथ अपना रंग बदलता है. इतना ही नहीं बल्कि त्वचा का भी विसर्जन करता है. महाशिवरात्रि के पर्व यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. ऐसे में आज आपको इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं को बताने जा रहे हैं, तो आइये जानते हैं...
क्या है पौराणिक मान्यता?
यह अद्भुत शिवलिंग भदोही के गोपीगंज (Gopiganj) स्थित तिलेश्वरनाथ मंदिर का है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग के महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना की थी. तभी से रंग बदलने वाले अनोखे रूप के कारण यह शिवलिंग आस्था का केंद्र बना है. मान्यताओं के अनुसार, इस शिवलिंग में प्राण-प्रतिष्ठा करते समय अर्जुन ने तीर चलाया था, जिसमें कुबेर ने सोने-चांदी की बारिश की थी. इसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. जब इस मंदिर का विशाल निर्माण कराने के लिए खुदाई हुई, उस समय सोने-चांदी के सिक्के भी मिले थे. मान्यता है कि इस शिवलिंग पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करने से सभी मुरादें पूरी होती हैं. दूर-दूर से भक्त यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं.
क्यों पड़ा नाम तिलेश्वरनाथ?
मंदिर के पुजारी रमाकांत के मुताबिक, हर साल इस मंदिर का शिवलिंग तिल के समान बढ़ता है इसीलिए इसका नाम तिलेश्वरनाथ रखा गया है. पांडवों द्वारा निर्मित इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि सावन के दिनों में इस शिवलिंग पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक, दर्शन पूजन करने का अलग ही महत्व होता है. शिव भक्त सुख-समृद्धि के लिए इस प्राचीन मंदिर में पूजा करते हैं. मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से यहां मांगा जाता है वह भोलेनाथ पूरा करते हैं. महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.
तीन बार बदलता है रंग
माना जाता है कि साल भर में यह शिवलिंग तीन बार अपना रंग बदलता है. यह गर्मियों में गेहुंआ, सर्दियों में भूरा और सावन में काले रंग का होता है. बता दें कि यह शिवलिंग साल में एक बार चप्पड़ (ऊपरी परत) छोड़ता है. हालांकि रंग बदलते तो सबको दिखता है, लेकिन त्वचा को बदलते किसी को नहीं दिखता.
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