Maharajganj News: उत्तर प्रदेश के महराजगंज में पंचमुखी महादेव भक्तों के हर दुखों को दूर करते हैं. यह धाम महाराजगंज जिले के निचलौल क्षेत्र में है. इसे इटहिया पंचमुखी शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. आज सावन के तीसरे सोमवार के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान सीओ सुनील दत्त दुबे भक्तों की मदद करते दिखे.
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अमित त्रिपाठी/महराजगंज: सावन के तीसरे सोमवार (Sawan Third Somwar 2022) पर शिवालयों में श्रद्धालुओं का भोर से ही तांता लगा रहा. वहीं, महाराजगंज जनपद के इटहिया शिव मंदिर (Itahiya Panchmukhi Shiva Mandir) पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. लोगों को संभालने के लिए पुलिस बल की अतिरिक्त व्यवस्था की गई थी. मिनी बाबा धाम के नाम से प्रसिद्ध इटहिया शिव मंदिर में भक्तों की लंबी लाइन लगी थी. हर-हर महादेव के जयघोष के बीच लोग जलाभिषेक करते रहे. इस दौरान सीओ सुनील दत्त दुबे ने कुछ ऐसा किया, जो जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है.
सीओ ने दिव्यांग कांवड़िये को कंधे पर लेकर कराया दर्शन
भारत नेपाल सीमा से सटे निचलौल तहसील क्षेत्र में इटहिया शिव मंदिर है. यहां सावन में भारी भीड़ देखने को मिलती है. आज सावन के तीसरे सोमवार को भी भक्तों का तांता लगा था. इस दौरान निचलौल सीओ सुनील दत्त दुबे ने पुष्प वर्षा कर कावड़ियों का स्वागत किया. पंचमुखी शिव मंदिर में एक दिव्यांग कांवड़िया दर्शन के लिए आया था, जिसे सीओ ने अपने कंधे पर लेकर भीड़ से बचाते हुए भोलेनाथ का दर्शन कराया. वहीं, एक घायल कावड़िए की पट्टी बांधकर उसका उपचार भी किया. सीओ के इस कदम की लोग सराहना करते नहीं थक रहे. वहीं, सीओ ने बताया कि सावन के तीसरे सोमवार को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. सभी दर्शनार्थियों कांवरियों व श्रद्धालुओं को सुगम व सुरक्षित दर्शन कराया जा रहा है. कोई भी वाहन चोरी अथवा चेन स्नेचिंग की घटना घटित ना हो इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था व्यापक स्तर पर कराई गई है.
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इटहिया पंचमुखी शिव मंदिर पर नेपाल के भी श्रद्धालु चढ़ाते हैं जल
सावन के महीने में इटहिया स्थित पंचमुखी शिव मंदिर में महाराजगंज से सटे आस-पास के जिले से भी लोग जलाभिषेक करने आते हैं. वहीं, नेपाल से भी श्रद्धालु सावन के महीने में पंचमुखी शिव मंदिर में जल चढ़ाने और रुद्राभिषेक कराने आते हैं. मान्यता है कि यहां पर दर्शन करने और भगवान शिव पर जलाभिषेक करने मात्र से ही श्रद्धालुओं की हर मनोकामनापूर्ण हो जाती है.
क्या है मंदिर के पीछे की कहानी ?
इटहिया धाम को लेकर मान्यता है कि 200 वर्ष पूर्व एक आम के पेड़ के नीचे खुदाई के दौरान किसान को पंचमुखी शिवलिंग प्राप्त हुआ था. तभी से यहां पर पूजन अर्चन की जाती है. वहीं, एक अन्य मान्यता के अनुसार पूर्व में राजा रतन सेन की नंदिनी नाम की गाय थी. जो हर रोज अपना दूध भगवान शिव को आकर अर्पण कर जाती थी. ऐसे में राजा को दूध नहीं मिलता था. राजा ने एक दिन सिपाहियों को गाय के पीछे लगाया. इसकी सत्यता की जांच कराना शुरू की. पता चला कि हर रोज गाय इसी जगह पर आकर शिव रूपी पत्थर पर दूध अर्पण कर चली जाती है. इस पर राजा को गुस्सा आया. राजा ने उस जगह पर खुदाई करवाई. वहां एक पंचमुखी शिवलिंग मिला. राजा ने शिवलिंग को निकालने और ले जाने की बहुत कोशिश की. लेकिन उनकी कोशिश नाकाम हुई. तब से यहीं पर पंचमुखी शिवलिंग की पूजा की जाने लगी, जो सिलसिला आज भी सैकड़ों वर्षो से चलता आ रहा है.
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सुरक्षा के लिए किए गए थे बेहतर इंतज़ाम
सावन के तीसरे सोमवार को देखते हुए पुलिस ने एक दिन पहले से ही बैरिकेडिंग कराकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. भीड़ न जुटने पाए, इसके लिए दर्शन व जलाभिषेक के बाद श्रद्धालुओं को दूसरे रास्ते से बाहर निकालने का क्रम लगातार जारी रखा गया. यहां पर भीड़ को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई है. जिसमें पीएससी, एंटी रोमियो, यातायात कर्मी महिला और पुरुष पुलिसकर्मी लगाए गए हैं. साथ ही साथ कांवड़ियों के लिए भी चिकित्सा एवं भोजन पानी की भी उचित व्यवस्था की गई है.
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