महाराजगंज: नागपंचमी पर गाय-भैंसों की तरह नाद में भूसा खाता है बुधीराम, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान
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महाराजगंज: नागपंचमी पर गाय-भैंसों की तरह नाद में भूसा खाता है बुधीराम, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

Mahrajganj News: महराजगंज में रोडवेज में बस ड्राइवर के पद से रिटायर हुआ बुधीराम नागपंचमी पर पशुओं की तरह नाद में मुंह डालकर भूसा खाता है. इसके पीछे कि वजह जानकर आप हैरान हो जाएंगे....

 

फाइल फोटो.

महाराजगंज: आपने अक्सर अपने आस-पास लोगों को परंपराओं का निर्वहन करते देखा होगा. लोगों का मानना है कि इन परंपराओं से उनका, उनके परिवार के साथ समाज का भी भला होता है. हालांकि, इनमें से कुछ परंपराएं अच्छी तो कुछ बेहद ही अजीबो-गरीब और हैरान करने वाली होती हैं. ऐसी ही एक परंपरा उत्तर प्रदेश के महराजगंज में निभाई जा रही है. जिसका वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें एक व्यक्ति पशुओं की तरह व्यवहार करते हुए भूसा और चारा खाता नजर आ रहा है. गांव वाले इसे आस्था मानकर उसमें शामिल होते हैं. इस दौरान लोग उसके इस रूप का दर्शन करने आते हैं. 

क्या है पूरा मामला? 
मामला महाराजगंज जनपद के कोल्हुई थाना क्षेत्र के रुद्रपुर शिवनाथ का है. यहां पेशे से रोडवेज चालक बुधीराम रहते हैं. जो अब सेवानिवृत्त हो चुका हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, बुधीराम नागपंचमी के मौके पर इंसान से पशु बन जाते हैं. नागपंचमी के दिन वह घर के बाहर बने समया माता के मंदिर पर बैठते हैं. लोग फूल-मालाओं से उनका स्वागत करते हैं. बताया जाता है कि वह नाद में पशु की तरह भूसा-चारा खाने लगते हैं. उसकी यह अद्भुत आस्था देखकर लोग हैरान जाते हैं. 

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पिछले 40-45 साल से निवर्हन कर रहे हैं परंपरा 
अब इसे आस्था कहें या अंधभक्ति, लेकिन बुधीराम सालों से इस अद्भुत परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. बुधीराम का दावा है कि पिछले 40-45 साल से उनपर भैंसासुर की सवारी आती है. ऐसा उनके साथ हर तीन साल के अंतराल में नागपंचमी के दिन होता है. भैंसासुर की सवारी की वह अनोखे अंदाज में पूजा-पाठ करते हैं. इस दौरान लोग भैंसासुर की सवारी का भोजन भूसा-चारा उन्हें खिलाते हैं. जिसे वह पशुओं की तरह ही नाद में खाते हैं. बुधीराम ने बताया कि उनके साथ ऐसा केवल एक दिन होता है, बाकी दिन वह सामान्य जीवन जीते हैं. यानी सामान्य खाना खाते हैं. उन्होंने बताया कि पूजा-पाठ के कुछ घंटों बाद ही वह सामान्य हो जाते हैं. 

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