बनारस में महाशिवरात्रि पर शिवभक्तों में गजब का उत्साह होता है. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इस बार साल 2022 में यह पर्व 1 मार्च दिन मंगलवार पड़ रहा है.
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वाराणसी: देवों के देव महादेव के भक्त दुनिया भर में हैं, लेकिन बाबा भोले की सबसे प्रिय और बारह ज्योतिर्लिंग में से एक काशी का पूरी दुनिया में महत्व है. ऐसी मान्यता है कि काशी में शिव की विशेष कृपा बरसती है और यहां किसी भी काम की शुरुआत बिना शिव के इच्छा के नहीं की जा सकती. महाशिवरात्रि का सालभर भक्तों को इंतजार होता है. वहीं, बनारस में महाशिवरात्रि पर शिवभक्तों में गजब का उत्साह होता है. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इस बार साल 2022 में यह पर्व 1 मार्च दिन मंगलवार पड़ रहा है.
देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में मंगलवार को महाशिवरात्रि बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है. इसके लिए सोमवार रात से ही शिव भक्तों की लंबी-लंबी लाइन लगी है. बाबा भोलेनाथ के भक्त गोदौलिया चौराहे से ही गंगाजल और गाय का दूध लेकर भगवान शिव के दर्शन के लिए घंटों इंतजार करते हुए जलाभिषेक करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
इस बार की महाशिवरात्रि होगी भव्य
काशी में इस बार बड़े ही भव्य तरीके से महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जा रहा है. वर्षों तंग गलियों के बीच विराजमान बाबा विश्वनाथ को उन संकरी गलियों से मुक्त करा लिया गया है. अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाया जा चुका है, जहां अब काफी जगह है. वहीं, शिव भक्तों को दर्शन करने में होने वाली कठिनाई से मुक्ति मिल चुकी है. मंदिर के गर्भ गृह में 120 किलो सोने से दीवारों को स्वर्ण मुद्रित किया गया है, जिसकी भव्यता देखते ही बनती है.
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है. आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है. शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य बाबा भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त करते हैं. मंदिरों में दिन भर जलाभिषेक का कार्यक्रम चलता है.
शिव और शक्ति का हुआ था मिलन
महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य के लिए जागरण करते हैं. शिवभक्त इस दिन शिवजी की शादी का उत्सव मनाते हैं. शिव की आराधना में लीन हो जाते हैं. मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति यानी मां पार्वती की शादी हुई थी. इसी दिन शिवजी ने वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था.
बाबा काशी विश्वनाथ की चार पहर की होगी आरती
महाशिवरात्रि के दिन भक्त यहां पर होने वाले शिव श्रृंगार व आरतियों में विशेष रूप से शामिल होते हैं. महाशिवरात्रि पर बाबा काशी विश्वनाथ की चार पहर की आरती की जाएगी. सभी आरतियों का समय निर्धारित है. इसमें मंगला आरती, मध्याह्न भोग आरती आदि शामिल हैं. मान्यता है कि इन आरतियों में शामिल होने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है. शिव भक्तों पर बाबा शिव की विशेष कृपा बरसती है. काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने जी मीडिया से बातचीत में कहा कि सबसे पहले बाबा की मंगला आरती होगी. उसके बाद आम भक्तों के लिए मंदिर का पट खोल दिया जाएगा. 2 मार्च की रात शयन आरती तक भक्त बाबा के दर्शन कर सकेंगे. हालांकि, कोई भी भक्त बाबा के गर्भगृह के भीतर नहीं जा सकेगा. शिवलिंग को जल या दूध आदि चढ़ाने के लिए गर्भगृह के चारों दिशाओं में बने द्वार पर ही अरघे का इंतजाम किया गया है.
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