पानी मे तैरने वाले इस पत्थर का वजन लगभग ढाई से तीन किलो तक का है.
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राजेश मिश्र/मिर्जापुर: उतर प्रदेश के मिर्जापुर में गंगा नदी में तैरते हुआ एक पत्थर मिला है, जोकि पूरे जिले में कौतूहल का विषय बन गया है. इस पत्थर को लोगों ने इसे राम सेतु वाला पत्थर मानकर पूजा पाठ शुरू कर दिया है. पानी मे तैर रहे पत्थर को मंदिर में रख कर ग्रामीण पूजा अर्चना कर रहे हैं.
लोग कर रहे पूजा-पाठ
चुनार तहसील क्षेत्र के सीखड़ में गंगा के पानी में तैरता हुआ पत्थर मिला है. गंगा स्नान कर रहे लोगों के पास तैरता हुआ पत्थर पहुचा तो कौतूहल बस पत्थर को निकाल कर गंगा के किनारे पीपल के पेड़ के नीचे रख दिया गया , जिसकी सूचना गांव वालों को मिलने पर पत्थर को चमत्कारिक मान कर उसकी अब पूजा अर्चना की जा रही है. सीखड़ ब्लाक के सीखड़ गांव में स्थित बावनदेव मंदिर आश्रम परिसर में स्थित मंदिर में पत्थर को पानी की बाल्टी में रख कर पूजा-पाठ किया जा रहा है.
लोग मान रहे चमत्कार
पत्थर को देखने के लिए सुबह से ही मंदिर में भीड़ लगी हुई है. आस-पास के लोग आश्रम पहुंच कर पत्थर को देख रहे हैं. साथ ही श्रद्धा भाव से पूजा कर रहे हैं. पत्थर के बारे में मंदिर के संरक्षक शिव कुमार चौरसिया ने बताया कि गांव के कुछ लोग गंगा स्नान कर रहे थे. इस बीच तैरता हुआ पत्थर उनके पास आ गया. मुझे जानकारी हुई तो पत्थर को उठा मंदिर लाया गया, जहां पूजा पाठ किया जा रहा है.
रामेश्वर में जिस तरह का पत्थर मिलता है. उसी तरह का यह पत्थर है. इसे ग्रामीण चमत्कार मान रहे है. पानी मे तैरने वाले इस पत्थर का वजन लगभग ढाई से तीन किलो तक का है. त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए नल-नील के सहयोग से समुद्र में तैरते पत्थरों से रामसेतु का निर्माण किया था. कलयुग में गंगा नदी में तैरता हुआ मिला पत्थर की लोग पूजा कर नमन कर रहे हैं.
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