नवरात्र आ गई है. इस दौरान आस्था के अनेक रंग देखने को मिलते हैं. झांसी में धार्मिक सद्भाव की ऐसी ही एक सुंदर तस्वीर देखने को मिल रही है. यहां 45 साल से एक परिवार मां दुर्गा की मूर्तियां बना रहा है.
Trending Photos
अब्दुल सत्तार/झांसी: झांसी के फूटा चौपड़ा की कालीबाड़ी में इन दिनों मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रुप देने में जुटे है. अब्दुल खलील 10 साल पहले तक पिता अब्दुल खालिक झांसी में दुर्गा देवी की मूर्ति बनाते थे. बेटा अब्दुल खलील ने मूर्ति बनाने का काम किसी कॉलेज या आर्ट सेंटर से नहीं सीखा. बल्कि अपने पिता के साथ रहकर उनकी सहायता करते हुए उसने मूर्ति बनाने की बारीकियां सीखी है.
बेहतरीन मूर्तिकारों में शुमार
खलील के पिता तो अब इस दुनिया में नहीं रहे. लेकिन वे जीवन भर नवरात्रि की मूर्तियां बनाने का काम करते रहे. अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए अब्दुल खलील भी मूर्तियां बनाने का काम बेहद लगन और मेहनत से करते है. खलील का अपने काम के प्रति समर्पण ही है जिसके कारण झांसी के ज्यादातर बड़े देवी पांडालों में उसके हाथ की बनी प्रतिमाएं लगायी जाती है. झांसी का अब्दुल खलील बचपन से ही हिन्दू देवी देवताओं की मूर्ति बनाकर अपना पेट पाल रहा है. पूरे झांसी में सबसे शानदार मूर्ति कलाकारों में उसका नाम शुमार होता है.
यह भी पढ़ें: फिल्म थैंक गॉड का विरोध शुरू, अजय देवगन ने निभाया है भगवान चित्रगुप्त का किरदार
कई दशकों से चली आ रही विरासत
झांसी में देवी मां की मूर्तियों को अंतिम रुप देने में जुटे अब्दुल खलील को ठीक से याद नहीं कि वह कितने सालों से मूर्तियां बना रहा है. लेकिन वह बताता है कि अपने पिता अब्दुल खालिक के साथ उसने बचपन में ही मूर्तियां बनाना सीखना शुरू कर दिया था. खलील के मुताबिक उसके पिता ने लगभग 45 साल तक मूर्ति बनाने का काम किया. देवी की सुन्दर और जीवंत मूर्तियों के चेहरे की चमक और मुस्कान बताती है कि खालिद ने अपनी पूरी कारीगरी के साथ उन्हें खूबसूरत रूप दिया है. एक मुस्लिम मूर्तिकार के हाथों बनी मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर उनकी विधि विधान से नौ दिनों तक पूजा होती है. हर साल खलील के हाथों की बनी मूर्तियां लोगों को देवी के दर्शन कराती हैं. खलील देवी की मूर्तियां बेहद खूबसूरती से बनाता है. एक मुस्लिम होने के बावजूद खलील जिस आस्था के साथ मूर्तियां बना देता है. वैसा हुनर बहुत कम लोगों में ही देखने को मिलता है.