नई दिल्ली। देश में दंगों के मामले (Riot Cases in India) लगातार कम हो रहे हैं. 80 के दशक के बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है. देश में विभिन्न श्रेणियों के अपराधों का रिकॉर्ड रखने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं. प्रोफेसर शमिका रवि ने एनसीआरबी के साल दर साल के इन्हीं आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन पेश कर यह निष्कर्ष निकाला है. इसमें 1970 से 2021 के बीच देश में दर्ज हुए दंगों के मामलों के आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट दी गई है. 


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ग्राफ दर्शाता है कि 70 के दशक के उपलब्ध आंकड़ों के बाद 80 के दशक के शुरुआती सालों तक दंगों के मामलों में लगातार इजाफा होता रहा. यह सालाना 1 लाख से 1.10 लाख के मामलों के करीब  तक पहुंचे, लेकिन उसके बाद इसमें गिरावट आनी शुरू हुई.80 से 90 के दशक में इनकी संख्या कमोवेश 1 लाख से 80 हजार के बीच हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं.90 के दशक के मध्य में इसमें थोड़ा उछाल भी देखा गया.



लेकिन 20वीं सदी के आखिरी दशक में अटल बिहारी बाजपेयी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के दौरान इसमें तेज गिरावट आई है. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान यूपीए की सरकार में भी इसमें गिरावट आई लेकिन यूपीए 2 के दौरान इसमें इजाफा देखा गया है. अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 2014 के बाद से पिछले नौ साल के कार्यकाल को देखें तो दंगों के मामले में तेज गिरावट आई है. यह पिछले 50 सालों में सबसे न्यूनतम स्तर पर है.