पहचानिए फोटो में नजर आ रहे 13 साल के इस लड़के को, जिसने बचपन में खेत में बोई थी बंदूक
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पहचानिए फोटो में नजर आ रहे 13 साल के इस लड़के को, जिसने बचपन में खेत में बोई थी बंदूक

इस ब्लैक एंड व्हाइट फोटो में यह लड़का पगड़ी पहने नजर आ रहा है. अविभाजित पंजाब से ताल्लुक रखने वाला यह लड़का मात्र 23 साल की उम्र में अपनी मातृभूमि पर न्यौछावर हो गया था. इस फोटो को देखने और इतना सब पढ़ने के बाद अब तो आप जान ही गए होंगे कि हम किसके बारे में बात कर रहे हैं?

पहचानिए फोटो में नजर आ रहे 13 साल के इस लड़के को, जिसने बचपन में खेत में बोई थी बंदूक

नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर हमेशा कुछ न कुछ ट्रेंड करता रहता है. इन दिनों ऐसा ही एक ट्रेंड काफी चल रहा है, जिसमें चर्चित चेहरों के बचपन की फोटो पोस्ट कर उन्हें पहचानने का चैलेंज दिया जा रहा है. यह चैलेंज यूजर्स को बहुत ही पसंद आ रहा है. आए दिन किसी न किसी मशहूर हस्ती की बचपन की फोटो शेयर होती रहती है, जिन्हें पहचानने में लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसी ही एक तस्वीर एक बार फिर इंटरनेट पर छाई है.

इस ब्लैक एंड व्हाइट फोटो में यह लड़का पगड़ी पहने नजर आ रहा है. अविभाजित पंजाब से ताल्लुक रखने वाला यह लड़का मात्र 23 साल की उम्र में अपनी मातृभूमि पर न्यौछावर हो गया था. इस फोटो को देखने और इतना सब पढ़ने के बाद अब तो आप जान ही गए होंगे कि हम किसके बारे में बात कर रहे हैं? अगर अब भी नहीं पहचाना तो चलिए हम ही बता देते हैं. फोटो में नजर आ रहा यह लड़का कोई और नहीं, शहीद-ए-आजम भगत सिंह हैं. 

भगत सिंह का जन्म स्थान
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा गांव (अब पाकिस्तान में है) में हुआ था. उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था. हालांकि, उनका पैतृक निवास आज भी हिंदुस्तान के पंजाब का नवांशहर जिले के खट्टरकलां में है. आज भी भगत सिंह का पुश्तैनी मकान यहां मौजूद है, जिसकी देखभाल पुरातत्व विभाग करता है. इसके अलावा आज यहां एक विशाल स्मारक और म्यूजियम भी है. 

23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है 
आज ही के दिन यानी 23 मार्च 1931 को भगत सिंह ने मात्र 23 साल की उम्र में राजगुरू और सुखदेव के साथ फांसी के फंदे को चूमकर जन्मभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुत दी थी. उनमें देशभक्ति के जज्बे के लिए कहा जाता है कि फांसी के समय भी भगत सिंह मुस्कुरा रहे थे और अंग्रेजों के खिलाफ नारे लगाते हुए उन्होंने मौत को गले लगाया था.

कुछ लोग बताते हैं कि उनकी आखिरी इच्छा यह थी कि उन्हें मौत की सजा फांसी पर लटकाने की जगह गोली मार कर दी जाए. इन तीनों क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए हमारे देश में 23 मार्च शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.

परिवार से बचपन से ही मिला देशभक्ति का पाठ 
बचपन से ही भगत सिंह में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी. जिस तरह बेखौफ होकर उन्होंने अंग्रेजों का सामना किया, वह आज भी देश के युवाओं के लिए बहुत बड़ा आदर्श है. आज हम आपको उनके बचपन से जुड़े एक किस्से के बारे में बता रहे हैं कि कैसे एक बार वे अपने खेतों में बंदूक की खेती करने लगे थे. ऐसा कहा जाता है कि बचपन में खेलते-खेलते भगत सिंह के हाथ अपने चाचा की बंदूक लग गई. उन्होंने अपने चाचा से पूछा कि इससे क्या होता है? तब उनके चाचा ने बताया कि वे इससे अंग्रेजी हुकूमत को देश से दूर भगाएंगे. 

खेतों में करने लगे थे बंदूक की खेती 
इस घटना के कुछ दिनों बाद भगत सिंह अपने चाचा के साथ खेतों में काम करने गए, उनके चाचा वहां आम का पेड़ लगा रहे थे. जब भगत सिंह ने उनसे पूछा कि आप यह क्या कर रहे हो, तो उन्होंने कहा कि मै आम का पेड़ लगा रहा हूं. इस पर बहुत से आम लगेंगे और हम सब खाएंगे. इतने में भगत सिंह अपने घर से बंदूक ले आए और खेत में गड्ढा खोदने लगे.

उसके बाद बंदूक को उस गड्ढे में डालने लगे, तभी चाचा ने पूछा भगत यह क्या कर रहे हो? तब उन्होंने कहा कि मैं बंदूक की फसल उगा रहा हूं. जिससे कई बंदूके पैदा होंगी और हम देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कर सकेंगे. तब उनकी उम्र महज 4 साल की थी. 

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